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छक्खंडागमे जीवट्ठाणं [१,९-९, १५६. गम्भोवक्कतिएसु गच्छंता पज्जत्तएसु गच्छंति, णो अपज्जत्तएसु ॥ १५६ ॥
पज्जत्तएसु गच्छंता संखेज्जवासाउएसु वि गच्छंति, असंखेजवासाउएसु वि गच्छंति ॥ १५७ ॥
एदाणि सुत्ताणि सुगमाणि ।
मणुसेसु गच्छंता गम्भोवक्कंतिएसु गच्छंति, णो सम्मुच्छिमेसु ॥१५८ ॥
मणुस्सा सणिणो चैव, तेण सण्णि-असण्णिवियप्पो ण कदो।
गम्भोवक्कंतिएसु गच्छंता पज्जत्तएसु गच्छंति, णो अपज्जत्तएसु ॥ १५९ ॥
पज्जत्तएसु गच्छंता संखेज्जवासाउएसु (वि) गच्छंति, असंखेज्जवासाउएसु वि गच्छंति ॥ १६० ॥
___ गर्भो पक्रान्तिकोंमें जानेवाले उपर्युक्त मनुष्य पर्याप्तकोंमें जाते हैं, अपर्याप्तकोंमें नहीं ॥ १५६ ॥
पर्याप्तकोंमें जानेवाले उपर्युक्त मनुष्य संख्यात वर्षकी आयुवालोंमें भी जाते हैं और असंख्यात वर्षकी आयुवालोंमें भी जाते हैं ॥ १५७॥
ये सूत्र सुगम हैं। __ मनुष्योंमें जानेवाले उपर्युक्त मनुष्य गर्भोपक्रान्तिकोंमें जाते हैं, सम्मूछिमोंमें नहीं ॥ १५८ ॥
__ मनुष्य केवल संज्ञी ही होते हैं, इसलिये उनमें संज्ञी और असंज्ञीका विकल्प नहीं किया गया।
गर्भोपक्रान्तिकोंमें जानेवाले उपर्युक्त मनुष्य पर्याप्तकोंमें जाते हैं, अपर्याप्तकोंमें नहीं ॥१५९ ॥
पर्याप्तकोंमें जानेवाले उपर्युक्त मनुष्य संख्यातवर्षायुष्क मनुष्योंमें भी जाते हैं और असंख्यातवर्षायुष्क मनुष्योंमें भी जाते हैं ॥ १६० ॥
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