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विषय-सूची क्रम नं. विषय पृष्ठ नं. क्रम नं. विषय १४ सम्यक्त्व प्राप्त करनेवाले
२७ बारह कषाय और नौ नोकजीवके शानावरणादि सात । षायोंके अन्तरकरणका विधान । कर्मोंकी स्थिति।
२६६ / २८ अन्तरकरणके प्रथम समयमें १५ चारित्रको प्राप्त करनेवाले
होनेवाले सात करणोंका जीवके शानावरणादि तीन
निरूपण । कर्मोकी स्थिति।
२९ नपुंसकवेदके उपशमका १६ संयमासंयम प्राप्तिका विधान ।
निरूपण। १७ अपूर्वकरणसे लेकर एकान्ता
३० स्त्रीवेदके उपशमका निरूपण । नुवृद्धिके अन्तिम समय तक
३१ सात नोकषायोंके उपशमका स्थितिबन्धादि पदोंका अल्प
विधान। बहुत्व ।
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३२ तीन प्रकारके क्रोधके उप१८ संयमासंयमलब्धिके स्वामी
शमका निरूपण। व अल्पबहुत्व।
३३ तीन प्रकारके मानके उप१९ संयमासंयमलब्धिके स्थानोंका
शमका निरूपण। निरूपण।
३४ तीन प्रकारकी मायाके उप२० संयमासंयमलब्धिस्थानोंका
शमका विधान। अल्पबहुत्व ।
३५ तीन प्रकारके लोभके उपशम२१ सकलचारित्रके तीन भेदोंका
विधानमें कृष्टियोंका निरूपण । निर्देश करते हुए
३६ उपशान्तकषायका निरूपण। क्षायोपशमिक चारित्रकी प्राप्तिका विधान ।
३७ उपशान्तकषायके प्रतिपातका
क्रम। २२ संयमलब्धिस्थानोंके तीन
३८ क्रोधादिके उदयसे उपस्थित भेद व उनका स्वरूप तथा
पुरुषवेदी आदि उपशामअल्पबहुत्व।
कोंकी विशेषता। २३ औपशमिक चारित्रकी
३९ प्रथमसमयवर्ती अपूर्वकरण प्राप्तिके विधानमें अनन्तानु
उपशामकसे लेकर प्रतिपाबन्धीकी विसंयोजना और
तावस्थामें अन्तिम समयवर्ती दर्शनमोहनीयके उपशमका
अपूर्वकरण होने तक इसकानिरूपण ।
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लमें कालसंयुक्त पदोंका २४ कषायोपशामनाके विधानमें
अल्पबहुत्व । स्थितिकाण्डकादिकोंका
४० क्षायिक चारित्रकी प्राप्तिके निर्देश व प्रमाण ।
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विधानमें स्थितिकाण्डकादि२५ स्थितिबन्धका अल्पबहुत्व
कोका निरूपण । २६ मनःपर्ययज्ञानावरणादिकोंका | ४१ ज्ञानावरणीयादिकोंकी बन्धसे देशघातित्वनिरूपण ।।
स्थितिका स्थापन।
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