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(३६)
षट्खंडागमकी प्रस्तावना क्रम नं. विषय पृष्ठ नं. क्रम नं. विषय ४ सातावेदनीयका जघन्य
सम्यक्त्वोत्पत्तिचूलिका स्थितिबन्ध व आबाधा ।
१ सम्यक्त्वप्राप्तिके योग्य कर्म५ मिथ्यात्वका जघन्य स्थिति
स्थिति आदिका निर्देश तथा बन्ध व आबाधा।
क्षयोपशमादि चार लब्धि ६ अनन्तानुबन्धी आदि बारह
योंका निरूपण। कषायोंका जघन्य स्थिति
२ सम्यक्त्वप्राप्तिके योग्य जीवका बन्ध व आबाधा ।
निरूपण । ७ संज्वलन क्रोध, मान और
३ सर्वविशुद्धका लक्षण तथा मायाका जघन्य स्थितिबन्ध
अधःप्रवृत्त करणविशुद्धियोका व अबाधा।
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निरूपण । ८ पुरुषवेदका जघन्य स्थिति
४ अपूर्वकरणका निरूपण | बन्ध व आबाधा।
५ अनिवृत्तिकरणका निरूपण । ९ स्त्रीवेदादिप्रकृतियोंका जघन्य
६ अधःप्रवृत्तकरणादि विशुस्थितिबन्ध व आवाधा।
द्धियों द्वारा होनेवाले स्थिति१० नारकायु व देवायुका जघन्य
बन्धापसरणादि कार्य । स्थितिबन्ध व आवाधा। १९३ ७ प्रथमसम्यक्त्वको उत्पन्न ११ तिर्यगायु और मनुष्यायुका
करनेवाले जीवके द्वारा किये
जानेवाले अन्तरकरणका ___ जघन्य स्थितिबन्ध व आबाधा। ,
निरूपण। १२ नरकगति आदि प्रकृतियोंका
८ मिथ्यात्वके तीन भागोंका जघन्य स्थितिबन्ध व
निरूपण । आबाधा।
९ पच्चीस पदवाला अल्पबहुत्व आहारकशरीर आहारक
१० दर्शनमोहनीय कर्मके उपशमके शरीरांगोपांग और तीर्थकर
___योग्य गत्यादिकोंका निरूपण । प्रकृतिका जघन्य स्थितिबन्ध
११ दर्शनमोहनीयकी क्षपणाके व आबाधा।
प्रारम्भ योग्य सामग्री। १४ यश-कीर्ति और उच्च गोत्रके
१२ दर्शनमोहनीयकी क्षपणाके जघन्य स्थितिबन्ध और
निष्ठापन योग्य गतियोंका आबाधाप्रमाणका निरूपण
निर्देश एवं दर्शनमोहक्षपतथा जघन्य व उत्कृष्ट प्रदेश
ककी विशेष प्ररूपणा बन्ध एवं अनुभागबन्धके न
१३ प्रथमसमयवर्ती अपूर्वकरणसे कहने रूप शंकाका समाधान।
लेकर प्रथमसमयवर्ती कृत१५ सत्व, उदय और उदीरणाके
कृत्य वेदक होने तक अनु. न कहनेरूप शंकाका
भागकाण्डकोत्कीरणकालादि समाधान।
२०१ । पदोंका अल्पबहुत्व ।
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