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षट्खंडागमकी प्रस्तावना क्रम नं. विषय
पृष्ठ नं. क्रम नं. विषय २३ आयुकर्मके भेद व उनका
। ६ मोहनीय कर्मके दश लक्षण।
४८ स्थानोंका निरूपण । २४ नामकर्मकी ब्यालीस पिण्ड
७ आयुकर्मके बन्धस्थान । प्रकृतियोंका पृथक् पृथक्
८ नामकर्मके अट्ठाईस प्रकृतिलक्षणनिरूपण।
__सम्बन्धी स्थान। २५ गति व जाति नामकर्मीके
९ तिर्यग्गति नामकर्मके पांच भेदोंका निरूपण।
स्थान। २६ शरीर नामकर्मके भेदोंका
१० मनुष्यगति नामकर्मके तीन निरूपण।
स्थान। २७ बन्धनके भेद ।
११ देवगति नामकर्मके पांच २८ संघातके भेद ।
स्थान।
१२२ २९ संस्थान नामकर्मके भेद वे १२ गोत्र कर्मके बन्धस्थान । १३१ उनके लक्षण।
१३ अन्तरायकी पांच प्रकृति३० अंगोपांग नामकर्मके भेद व
योका एक बन्धस्थान। उनके लक्षण । ३१ संहनन नामकर्मके भेद व
प्रथममहादण्डकचूलिका उनके लक्षण ।
१ प्रथमसम्यक्त्वके अभिमुख ३२ वर्ण, गन्ध, रस, और स्पर्श
हुए जीवके बध्यमान प्रकृतिनामकर्मके भेदोंका निरूपण ।
योंके कीर्तनकी प्रतिज्ञा। १३३ ३३ आनुपूर्वी आदि नामकर्मके
२ प्रथमसम्यक्त्वीके द्वारा भेदोका निरूपण।
बध्यमान प्रकृतियोंका निर्देश। १३३ ३४ गोत्र और अन्तराय कर्मके ...
३ सम्यक्त्वाभिमुख हुए मिथ्या
दृष्टि जीवके प्रकृतियोंके बन्धभेदोका निरूपण।
व्युच्छित्तिक्रमका निरूपण । ___ स्थानसमुत्कीर्तनचूलिका
द्वितीयमहादण्डकचूलिका १ स्थानसमुत्कीर्तनकी प्रतिज्ञा। ७९ १ प्रथमसम्यक्त्वाभिमुख देव २ बन्धकस्थानोंके भेद।
८० | और नारकीके बध्यमान प्रक३ शानावरणीयकी पांच प्रकृति
तियोंका निरूपण। योंका निर्देश व उनके एक बन्धस्थानका निरूपण।।
तृतीयमहादण्डकचूलिका ४ दर्शनावरणीय कर्मके तीन
१ प्रथमसम्यक्त्वाभिमुख बन्धस्थानोंका निरूपण ।
सप्तम पृथिवीके नारकी ५ वेदनीयके एक बन्धस्थानका
द्वारा बध्यमान प्रकृतियोंका निरूपण। ८७ | निर्देश।
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