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२१६ ] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, ९-८, ४. अधापवत्तकरणपढमसमयअंतीमुहुत्तमेत्तपरिणामखंडेसु जं पढमखंडं तं विदियादिसमयाणमंतोमुहुत्तमेत्तखंडेसु केण वि सरिसं ण होदि । विदियखंडं पुण विदियसमयपढमपरिणामखंडेण सरिसं, तदियखंडं तदियसमयपढमपरिणामखंडेण सरिसं, चउत्थखंडं चउत्थसमयपढमपरिणामखंडेण सरिसं । एवं णेयव्यं जाव पढमसमयस्स णिव्वग्गणकंडयमेत्तपरिणामखंडेसु जं चरिमखंडं तं णिव्वग्गणकंडयमेत्तमुवरि चडिदण द्विदसमयस्स णिव्वग्गणकंडयमेत्तपरिणामखंडाणं पढमखंडेण सरिसं । एवं विदियादिसमयणिव्वग्गणकंडयमेत्तपरिणामखंडाणमणुकट्ठी कादया।
अधःप्रवृत्तकरणके प्रथमसमयसम्बन्धी अन्तर्मुहूर्तमात्र परिणाम खंडों में जो प्रथम खंड है, वह द्वितीयादि समयोंके अन्तर्मुहूर्तमात्र खंडोंमें किसीके भी सदृश नहीं है। किन्तु द्वितीय खंड दूसरे समयके प्रथम परिणामखंडके साथ सरश है, तृतीय खंड तीसरे समयके प्रथम परिणामखंडके सदृश है, चतुर्थ खंड चौथे समयके प्रथम परिणामखंडके सदृश है । इस प्रकार यह क्रम तब तक ले जाना चाहिए जब तक कि प्रथम समयके निर्वगेणाकांडकमात्र परिणामखंडोंमें जो अन्तिम खंड है वह निर्वगणाकांडकमात्र समय ऊपर चढ़ करके स्थित समयके निर्वगणाकांडकमात्र परिणामखंडोंके प्रथम खंडके साथ सदृश प्राप्त होता है। इसी प्रकार द्वितीयादि समयोंके निर्वर्गणाकांडकमात्र परिणामखंडोंकी अनुकृष्टि, अर्थात् अधस्तन समयवर्ती परिणामखंडोंकी उपरितन समयवर्ती परिणतखंडोंके साथ समान परिणामोंकी तिर्यक् रचना, करना चाहिए ।
अंकसंदृष्टिकी अपेक्षा वह अनुकृष्टि रचना इस प्रकार है| SIMIRI | |9| ||M | | समयFIMIRIFI819FISTIBIHIN|12. प्रथम खंड FFIF15186 VIBHIBI
द्वितीय खंड साMIRSINISTIBIHIN| तृतीय खंड
ITIFIFTIIIIIIBIWI चतुर्थ खंड RI
B Eसर्वधन | च. निर्वर्गणाकां. | तृ. निर्वर्गणाकां. | द्वि. निर्वर्गणाकां.| प्रथम निर्वर्गणाकांडक
०४९४८४
१ अधापवत्तकरणपढमसमयप्पहुडि जाव चरिमसमओ त्ति ताव पादेकमे के कम्मि समये असंखेज्जलोगमेत्ताणि परिणामट्ठाणाणि वडिकमेणावहिदाणि हिदिबंधोसरणादणं कारणभूदाणि अस्थि तेसिं परिवाडीए विरचिदाणं पुणरुतापुणरुत्तभावगवेसणा अणुकट्टीणाम । अनुकर्षणमनुकृष्टिरन्योन्येन समानत्वानुचिन्तनमित्यनान्तरम् । जयध. अ. प. ९४६. अनुकृष्टि म अधस्तनसमयपरिणामखंडानां उपरितनसमयपरिणामखडैः सादृश्यं भवति । गो. जी. जी. प्र. ४९ टी.
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