________________
२१२] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, ९-८, ४. सत्थविहायगदि-तस-बादर-पज्जत्त-पत्तेयसरीर-थिरथिर-सुहासुह-दुभग दुस्सर-अणादेज्जअजसकित्ति-णिमिण-णीचागोद-पंचंतराइयाणं वेदगो ।
जदि तिरिक्खो, तिरिक्खगदि-पंचिंदियजादि-ओरालिय-तेजा-कम्मइयसरीराणं छसंठाणाणमेक्कदरस्स ओरालियसरीरअंगोवंगस्स छसंघडणाणमेक्कदरस्स वण्ण-गंध-रसफास-अगुरुअलहुअ-उवधाद-परघाद-उस्सासाणं उज्जोवं सिया। दोविहायगदीणमेकदरस्स, तस-बादर-पज्जत्त-पत्तेयसरीराणं थिराथिर-सुहासुहाणं सुभग-दुभगाणमेक्कदरस्स सुस्सरदुस्सराणमेक्कदरस्स आदेज्ज-अणादेज्जाणमेक्कदरस्स णिमिण-णीचागोद-पंचतराइयाणं वेदगो।
जदि मणुसो, मणुसगदि-पंचिंदियजादि-ओरालिय-तेजा-कम्मइयसरीराणं छसंठाणाणमेक्कदरस्स ओरालियसरीरअंगोवंगस्स छसंघडणाणमेक्कदरस्स वण्ण-गंध-रस-फासअगुरुअलघुअ-उवघाद-परघाद-उस्सासाणं दोण्हं विहायगदीणमेक्कदरस्स तस-बादर-पज्जत्तपत्तेयसरीराणं थिराथिर-सुभासुभाणं सुभग-दुभगाणमेक्कदरस्स सुस्सर-दुस्सराणमेक्कदरस्स आदेज्ज-अणादेज्जाणमेक्कदरस्स जसकित्ति-अजसकित्तीणमेक्कदरस्स णिमिणणामस्स
अगुरुलघु, उपघात, परघात, उच्छास, अप्रशस्तविहायोगति, प्रस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येकशरीर, स्थिर, अस्थिर, शुभ, अशुभ, दुर्भग, दुःस्वर, अनादेय, अयश-कीर्ति, निर्माण, नीचगोत्र और पांचो अन्तराय, इन प्रकृतियोका वेदक होता है।
___ यदि वह जीव तिर्यंच है, तो तिर्यग्गति पंचेन्द्रियजाति, औदारिकशरीर, तैजसशरीर, कार्मणशरीर, छहों संस्थानोंमेंसे कोई एक, औदारिकशरीर-अंगोपांग, छहों संहननोंमेंसे कोई एक, वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श, अगुरुलघु, उपघात, परघात, उच्छ्रास, इन प्रकृतियोंका वेदक होता है। उद्योत प्रकृतिका कदाचित् वेदक होता है, कदाचित् नहीं। दोनों विहायोगतियोंमेंसे कोई एक, त्रस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येकशरीर, स्थिर और अस्थिर इन दोनों से कोई एक, शुभ और अशुभ इन दोनोंमेंसे कोई एक, सुभग और दुर्भग इन दोनोंमेंसे कोई एक, सुस्वर और दुःस्वर इन दोनों से कोई एक, आदेय और अनादेय इन दोनों से कोई एक, निर्माण, नीचगोत्र और पांचों अन्तराय, इन प्रकृतियोंका घेदक होता है।
यदि वह जीव मनुष्य है, तो मनुष्यगति, पंचेन्द्रियजाति, औदारिकशरीर, तैजसशरीर, कार्मणशरीर, छहों संस्थानों से कोई एक, औदारिकशरीर-अंगोपांग, छहों संहननों से कोई एक, वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श, अगुरुलघु, उपघात, परघात, उच्छास, दोनों विहायोगतियोंमेंसे कोई एक, त्रस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येकशरीर, स्थिर और अस्थिर इन दोनों से कोई एक, शुभ और अशुभ इन दोनोंमेंसे कोई एक, सुभग और दुर्भग इन दोनों से कोई एक, सुस्वर और दुःस्वर इन दोनों से कोई एक, आदेय और भनादेय इन दोनों से कोई एक, यश-कीर्ति और अयश-कीर्ति इन दोनोंमेंसे कोई एक,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org