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________________ १७४) छक्खंडागमे जीवट्ठाणं [१, ९-६, ३३. भागहारो दुगुण-दुगुणादिकमेण गच्छदि जाव चरिमगुणहाणिपढमणिसेगो त्ति । सव्वगुणहाणिविदियादिणिसेयाणं भागहारपरूवणं जाणिय परूवेदव्वं । एवं सव्वकम्माण पि वत्तव्यं । ___ आहारसरीर--आहारसरीरंगोवंग-तित्थयरणामाणमुक्कस्सगो द्विदिबंधो अंतोकोडाकोडीए ॥ ३३ ॥ कुदो ? सम्माइट्ठिबंधत्तादो । अतोकोडाकोडीए ति उत्ते सागरोवमकोडाकोडिं संखेज्जकोडीहि खंडिदएगखंडं होदि त्ति घेत्त। एदिस्से द्विदीए अंतोमुहुत्तमेत्तावाधादो पण्णवणोवाओ- दससागरोवमकोडाकोडीणमाबाधं वस्ससहस्सं द्वविय मुहुत्ते गुणहानिका प्रथम निषेक प्राप्त होने तक चला जाता है उदाहरण-प्रथम गुणहानिके प्रथम निषेकका भागहार = १३०५, द्वि. गु. के प्र. नि. का भागहार १६७५, तृ. गु. के प्र. नि. का भागहार १५५५; चतु. गु. के प्र. नि. का भागहार १५६५, पंचम गु. के प्र.नि. का भागहार ११७५; षष्ठम गु. के प्र. नि. का भागहार १५४०५ । इस प्रकार स्पष्टतः भागहार एक गुणहानिसे दूसरी गुणहानिमें दुगुना होता चला गया है। समस्त गुणहानियोंके द्वितीय, तृतीय आदि निषेकोंके भागहारोंकी प्ररूपणा जान करके कहना चाहिए । इसी प्रकार सर्व कर्मोंकी भी उक्त सब रचना कहना चाहिए। आहारकशरीर, आहारकशरीर-अंगोपांग और तीर्थकर नामकर्म, इन प्रकृतियोंका उत्कृष्ट स्थितिबन्ध अन्तःकोड़ाकोड़ी सागरोपम है ॥ ३३ ॥ क्योंकि, इन प्रकृतियोंका सम्यग्दृष्टि जीवके ही बन्ध होता है, (और सम्यग्दृष्टिके अन्तःकोड़ाकोड़ीसे अधिक बन्ध होता नहीं है)। 'अन्तःकोड़ाकोड़ी' ऐसा कहनेपर एक कोडाकोड़ी सागरोपमको संख्यात कोटियोंसे खंडित करनेपर जो एक खंड होता है, वह अन्तःकोडाकोडीका अर्थ ग्रहण करना चाहिए । अन्तर्मुहूर्तमात्र आबाधाके द्वारा इस स्थितिके प्रज्ञापन अर्थात् जाननेका उपाय यह है-दश कोडाकोड़ी सागरोपमप्रमित कर्मस्थितिकी आबाधा एक हजार वर्ष स्थापित करके १xx अंतकोडाकोडी आहारतित्थयरे । गो, क. १३२. १ प्रतिषु · उत्त' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001400
Book TitleShatkhandagama Pustak 06
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1943
Total Pages615
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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