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________________ ७० ] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं [१, ९-१, ३२. जं तं सरीरबंधणणामकम्मं तं पंचविहं, ओरालियसरीरबंधणणामं वेउब्बियसरीरबंधणणामं आहारसरीरबंधणणामं तेजासरीरबंधणणामं कम्मइयसरीरबंधणणामं चेदि ॥ ३२ ॥ ___जस्स कम्मस्स उदएण ओरालियसरीरपरमाणू अण्णोण्णण बंधमागच्छंति तमोरालियसरीरबंधणं णाम । एवं सेससरीरबंधणाणं पि अत्थो वत्तव्यो । जं तं सरीरसंघादणामकम्मं तं पंचविहं, ओरालियसरीरसंघादणामं वेउब्बियसरीरसंघादणामं आहारसरीरसंघादणामं तेयासरीरसंघादणामं कम्मइयसरीरसंघादणामं चेदि ॥ ३३॥ जस्त कम्मस्स उदएण ओरालियसरीरक्खंधाणं सरीरभावमुवगयाणं बंधणणामकम्मोदएण एगबंधणवद्धाण मट्टत्तं होदि तमोरालियसरीरसंघादं णाम । एवं सेससरीरसंघादाणं पि अत्थो वत्तव्यो। __ जंतं सरीरसंठाणणामकम्मंतं छव्विहं, समचउरससरीरसंठाणणामं णग्गोहपरिमंडलसरीरसंठाणणामं सादियसरीरसंठाणणामं खुज्जसरीरसंठाणणामं वामणसरीरसंठाणणामं हुंडसरीरसंठाणणामं चेदि ॥३४॥ जो शरीरबंधननामकर्म है वह पांच प्रकारका है- औदारिकशरीरबंधननामकर्म, वैक्रियिकशरीरबंधननामकर्म, आहारकशरीरबंधननामकर्म तैजसशरीरबंधननामकर्म और कार्मणशरीरबंधननामकर्म ॥ ३२ ॥ . जिस कर्मके उदयसे औदारिकशरीरके परमाणु परस्पर बन्धको प्राप्त होते हैं, उसे औदारिकशरीरबन्धन नामकर्म कहते हैं । इस प्रकार शेष शरीरसम्बन्धी बन्धनोंका भी अर्थ कहना चाहिए। जो शरीरसंघातनामकर्म है वह पांच प्रकारका है-औदारिकशरीरसंघातनामकर्म, वैक्रियिकशरीरसंघातनामकर्म, आहारकशरीरसंघातनामकर्म, तैजसशरीरसंघातनामकर्म और कार्मणशरीरसंघातनामकर्म ॥ ३३ ॥ . शरीरभावको प्राप्त तथा बन्धननामकर्मके उदयसे एक बन्धन-बद्ध औदारिक शरीरके स्कन्धोंका जिस कर्मके उदयसे छिद्र-राहित्य होता है वह औदारिकशरीरसंघात नामकर्म है । इसी प्रकार शेष शरीर-संघातोंका भी अर्थ कहना चाहिए। जो शरीरसंस्थाननामकर्म है वह छह प्रकारका है-समचतुरस्रशरीरसंस्थाननामकर्म, न्यग्रोधपरिमंडलशरीरसंस्थाननामकर्म, स्वातिशरीरसंस्थाननामकर्म, कुब्जशरीरसंस्थाननामकर्म, वामनशरीरसंस्थाननामकर्म और हुंडशरीरसंस्थाननामकर्म ॥ ३४ ॥ Jain Educaton International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001400
Book TitleShatkhandagama Pustak 06
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1943
Total Pages615
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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