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________________ अल्पबहुत्वानुगम-विषय-सूची क्रम नं. विषय पृष्ठ नं. 1 क्रम नं. विषय पृष्ठ नं. २ नाम-अल्पबहुत्व, स्थापना- १५ सासादनसम्यग्दृष्टियोंका गुअल्पबहुत्व, द्रव्य-अल्पबहुत्व णकार बतलाते हुए गुणऔर भाव-अल्पबहुत्व, इन कारके तीन प्रकारोंका वर्णन . २४९ चार प्रकारके अल्पबहुत्वोंका १६ सम्यग्मिथ्यादृष्टि, असंयतसभेद-स्वरूप-निरूपण २४१-२४२ । सम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि ३ प्रकृतमें सचित्त द्रव्याल्प जीवोंका सयुक्तिक एवं सप्र__ बहुत्वसे प्रयोजनका उल्लेख २४२ । माण अल्पबहुत्व-निरूपण २५०-२५३ ४ निर्देश, स्वामित्व, आदि १७ असंयतसम्यग्दृष्टि गुणछह अनुयोगद्वारोंसे अल्पबहु स्थानमें सम्यक्त्वसम्बन्धी त्वका स्वरूप निरूपण २४२-२४३ अल्पबहुत्वका अनेक शंका५ ओघ और आदेशका स्वरूप २४३ ओके समाधानपूर्वक निरूपण २५३-२५६ १८ संयतासंयत गुणस्थानमें ओघसे अल्पबहुत्वानुगमनिर्देश२४३-२६१ सम्यक्त्वसम्बन्धी अल्पबहु६ अपूर्वकरणादि तीन गुणस्थान त्वका तदन्तर्गत अनेक शंकावर्ती उपशामक जीवोंका ओके समाधानपूर्वक सयुप्रवेशकी अपेक्षा अल्पबहुत्व २४३-२४४ क्तिक निरूपण ७ अपूर्वकरण आदिके कालोंमें १९ प्रमत्त और अप्रमत्तसंयत परस्पर हीनाधिकता होनेसे सम्यक्त्वसंचय विसदृश क्यों नहीं · सम्बन्धी अल्पबहुत्व । २५८ होता ? इस शंकाका . २० उपशामक और क्षपकों में सयुक्तिक समाधान २४४ सम्यक्त्वसम्बन्धी अल्पबहुत्व ८ उपशान्तकषायवीतरागछद्म- . तथा तदन्तर्गत अनेक शंकास्थोंका अल्पबहुत्व २४५ ओंका समाधान २५८-२६१ ९ क्षपक जीवोंका अल्पबहुत्व २४५-२४६ १० सयोगिकेवली और अयोगि आदेशसे अल्पबहुत्वानुगमकेवलीका प्रवेशकी अपेक्षा निर्देश २६१.३५० अल्पबहुत्व २४६ ११ सयोगिकेवलीका संचय १ गतिमार्गणा २६१.२८७ ___कालकी अपेक्षा अल्पबहुत्व २४७ (नरकगति) २६१-२६७ १२ प्रमत्तसंयत और अप्रमत्तसंयत २१ सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यजीवोंका अल्पबहुत्व २५७-२४८ ग्मिथ्यादृष्टि, असंयतसम्य१३ संयतासंयतोंका अल्पबहुत्व ग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि और तत्संबंधी शंकाका नारकी जीवोंके अल्पबहुत्वका समाधान २४८ क्रमशः सयुक्तिक निरूपण २६१-२६३ १४ सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंका २२ असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें अल्पबहुत्व और तदन्तर्गत नारकियोंका सम्यक्त्वसंबंधी अनेक शंकाओंका समाधान २४८-२४९ । अल्पबहुत्व २६३-२६४ गुणस्थानमें Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001399
Book TitleShatkhandagama Pustak 05
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1942
Total Pages481
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size9 MB
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