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षट्खंडागमकी प्रस्तावना क्रम नं. विषयः पृष्ठ नं. | क्रम नं. विषय पृष्ठ नं. ६६ सामायिक, छेदोपस्थापना, ७७ उक्त गुणस्थानवर्ती क्षायिकपरिहारविशुद्धि और सूक्ष्म
सम्यग्दृष्टि जीवोंके भावोंका साम्परायिक संयमी जीवोंके
और उनके सम्यक्त्वका भावोंका पृथक् पृथक् निरूपण २२७ | तदन्तर्गत शंका-समाधान६७ यथाख्यातसंयमी, संयमा
पूर्वक निरूपण
२३१-२३४ संयमी और असंयमी जीवोंके
७८ असंयतसम्यग्दृष्टि आदि चार भावोंका पृथक् पृथक् निरूपण २२८ ! गुणस्थानवी वेदकसम्य९ दर्शनमार्गणा २२८-२२९
ग्दृष्टि जीवोंके भावोंका और
सम्यक्त्वका निरूपण ६८ चक्षुदर्शनी और अचक्षुदर्शनी
२३४-२३५ जीवोंके भाव
२२८
७९ असंयतसम्यग्दृष्टिसे लेकर ६९ अवधिदर्शनी और केवल
उपशांतकषाय गुणस्थान तक
उपशमसम्यग्दृष्टि जीवोंके दर्शनी जीवोंके भाव . २२९
भावोंका और सम्यक्त्वका १० लेश्यामार्गणा २२९-२३० निरूपण
२३५-२३६ ७० कृष्ण, नील और कापोत
८० सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यलेश्यावाले आदिके चार
ग्मिथ्यादृष्टि और मिथ्यादृष्टि
जीवोंके भाव गुणस्थानवी जीवोंके भाव २२९
२३६-२३७ ७१ तेजोलेश्या और पद्मलेश्या
१३ संज्ञिमार्गणा . २३७ वाले आदिके सात गुणस्थान
मिथ्यादृष्टिसे लेकर क्षीणवर्ती जीवोंके भाव
कषाय गुणस्थान तक संक्षी ७२ शुक्लले श्यावाले आदिके तेरह
जीवोंके भाव गुणस्थानवी जीवोंके भाव २३० ८२ असंही जीवोंके भाव
११ भव्यमार्गणा २३०-२३१ १४ आहारमार्गणा ७३ सर्वगुणस्थानवर्ती भव्य . ८३ मिथ्याष्टिसे लेकर सयोगिजीवोंके भाव
२३० । केवल। गुणस्थान तक आहा७४ अभव्य जीवोंके भाव
रक जीवोंके भाव ७५ अभव्यमार्गणामें गुणस्थानके
८४ अनाहारक जीवोंके भाव भावको न कह कर मार्गणास्थान-संबंधीभावके कहनेका
अल्पबहुत्वानुगम क्या अभिप्राय है ? इस शंकाका समाधान २३०-२३१
विषयकी उत्थानिका २४१-३५० १२ सम्यक्त्वमार्गणा २३१-२३७
१ धवलाकारका मंगलाचरण ७६ असंयतसम्यग्दृष्टिसे लेकर
और प्रतिज्ञा
. २४१ अयोगिकेवली गुणस्थान तक
अल्पबहुत्वानुगमकी अपेक्षा सम्यग्दृष्टि जीवोंके भाव २३१ । निर्देश-भेद-निरूपण
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