________________
पृष्ठ नं.
भावानुगम-विषय-सूची
(५३) क्रम नं.
विषय पृष्ठ नं. । क्रम नं. विषय निरूपण, तथा एकेन्द्रिय,
सम्यग्दृष्टि और सयोगिकेवली विकलेन्द्रिय और लब्ध्य
जीवोंके भाव
२२१ पर्याप्तक पंचेन्द्रिय जीवोंके
५ वेदमार्गणा ___२२१-२२२ भाव न कहनेका कारण २१६-२१७
| ५५ स्त्रीवेदी, पुरुषवेदी और नपुं. ३ कायमार्गणा २१७-२१८ | सकवेदी जीवोंके भाव ४७ प्रसकायिक और त्रसकायिक
५६ अपगतवेदी जीवोंके भाव २२२ पर्याप्तक जीवोंके सर्व गुण
५७ अपगतवेदी किसे कहा जाय? स्थानसम्बन्धीभावोंका प्रति
इस शंकाका सयुक्तिक पादन, तथा तत्सम्बन्धी
समाधान शंका-समाधान
६ कषायमार्गणा २२३ ४ योगमार्गणा २१८-२२१ । ५८ चतुष्कषायी जीवोंके भाव ४८ पांचों मनोयोगी, पांचों ५९ अकषायी जीवोंके भाव वचनयोगी, काययोगी और
६० कषाय क्या वस्तु है, अकषाऔदारिककाययोगी जीवोंके
यता किस प्रकार घटित होती भाव
२१८ है ? इस शंकाका सयुक्तिक ४९ औदारिकमिश्रकाययोगी मि
समाधान थ्यादृष्टि, सासादनसम्य
७ ज्ञानमार्गणा २२४-२२६ ग्दृष्टि, असंयतसम्यग्दृष्टि और
६१ मत्यज्ञानी, श्रुताशानी और सयोगिकेवली जीवोंके
विभंगज्ञानी जीवोंके भाव २२४-२२५ भावोंका पृथक् पृथक् निरूपण २१८-२१९ ६२ मिथ्यादृष्टि जीवोंके ज्ञानको ५० औदारिकमिश्रकाययोगी असं- ____ अज्ञानपना कैसे है ? ज्ञानका यतसम्यग्दृष्टि जीवोंमें औप
कार्य क्या है ? इत्यादि अनेकों शमिकभाव न बतलानेका
शंकाओंका समाधान कारण
२१९ । ६३ मति, श्रुत, अवधि, मनःपर्यय ५१ चारों गुणस्थानवर्ती वैक्रियिक
और केवलज्ञानी जीवोंके काययोगी जीवोंके भाव २१९-२२० भावोका पृथक्पृथक् निरूपण२२५-२२६ ५२ वैक्रियिकमिश्रकाययोगी मि
६४ 'सयोग' यह कौनसा भाव थ्याष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि
है ? योगको कार्मणशरीरसे और असंयतसम्यग्दृष्टि
उत्पन्न होनेवाला क्यों न जीवोंके भाव
२२० माना जाय ? इन शंकाओंका ५३ आहारककाययोगी और
सयुक्तिक समाधान आहारकमिश्रकाययोगीजीवों
८ संयममार्गणा २२७-२२८ के भाव
, | ६५ प्रमत्तसंयतसे लेकर अयोगि५४ कार्मणकाययोगी मिथ्यादृष्टि,
केवली गुणस्थान तक संयमी सासादनसम्यग्दृष्टि, असंयत
जीवोंके भाव
२२७
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org