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१, ८, २८१.] अप्पाबहुगाणुगमे संजदासजद-असंजद-अप्पाबहुगपरूवणं [३२९
उवसमसम्मादिट्टी असंखेज्जगुणा ॥ २७७ ॥
को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो, असंखेज्जाणि पलिदोवमपढमवग्गमूलाणि ।
वेदगसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥ २७८ ॥ को गुणगारो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो । कारणं जाणिदूण वत्तव्यं । असंजदेसु सव्वत्थोवा सासणसम्मादिट्ठी ॥ २७९ ॥ कुदो ? छावलियसंचयादो । सम्मामिच्छादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥२८०॥ कुदो ? संखेज्जावलियसंचयादो। असंजदसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥२८१ ॥ को गुणगारो ? आवलियाए असंखेञ्जदिभागो । कुदो ? साभावियादो ।
संयतासंयत गुणस्थानमें क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे उपशमसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ २७७ ॥
गुणकार क्या है ? पल्योपमका असंख्यातवां भाग गुणकार है, जो पल्योपमके असंख्यात प्रथम वर्गमूलप्रमाण है।
संयतासंयत गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि असंख्यातगुणित है ।। २७८ ॥
गुणकार क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग गुणकार है। इसका कारण जानकर कहना चाहिए । (देखो सूत्र नं. २०)।
असंयतोंमें सासादनसम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम हैं ॥ २७९॥ क्योंकि, उनका संचयकाल छह आवलीमात्र है।
असंयतोंमें सासादनसम्यग्दृष्टियोंसे सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥ २८०॥
क्योंकि, उनका संचयकाल संख्यात आवलीप्रमाण है।
असंयतोंमें सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंसे असंयतसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ २८१ ॥
गुणकार क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग गुणकार है, क्योंकि, यह स्वाभाविक है।
१ असंयतेषु सर्वतः स्तोकाः सासादनसम्यग्दृष्टयः । स. सि. १, ८. २ सम्यग्मिथ्यादृष्टयः संख्येयगुणाः । स. सि. १, ८. ३ असंयतसम्यग्दृष्टयोऽसंख्येयगुणाः । स.सि. १,८.
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