________________
१, ८, १४९.] अप्पाबहुगाणुगमे इत्थिवेदि-अप्पाबहुगपरूवणं
दसपरिमाणत्तादो। खवा संखेज्जगुणा ॥ १४५॥ बीसपरिमाणत्तादो। अप्पमत्तसंजदा अक्खवा अणुवसमा संखेज्जगुणा ॥ १४६॥ को गुणगारो ? संखेज्जसमया। पमत्तसंजदा संखेज्जगुणा ॥ १४७ ॥ को गुणगारो ? दो रूवाणि । संजदासंजदा असंखेज्जगुणा ॥ १४८ ॥
को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो, असंखेज्जाणि पलिदोवमपढमवग्गमूलाणि । को पडिभागो ? संखेज्जरूवगुणिदअसंखेज्जावलियाओ।
सासणसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥ १४९ ॥ को गुणगारो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो। किं कारण ? असुहसासणगुणस्स क्योंकि, स्त्रीवेदी उपशामक जीवोंका प्रमाण दस है। स्त्रीवेदियोंमें उपशामकोंसे क्षपक जीव संख्यातगुणित हैं ॥ १४५ ॥ क्योंकि, उनका परिमाण बीस है।
स्त्रीवेदियोंमें क्षपकोंसे अक्षपक और अनुपशामक अप्रमत्तसंयत जीव संख्यातगुणित हैं ॥ १४६॥
गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है। स्त्रीवेदियोंमें अप्रमत्तसंयतोंसे प्रमत्तसंयत जीव संख्यातगुणित हैं ॥ १४७ ॥ गुणकार क्या है ? दो रूप गुणकार है। स्त्रीवेदियोंमें प्रमत्तसंयतोंसे संयतासंयत जीव असंख्यातगुणित हैं ॥ १४८॥
गुणकार क्या है ? पल्योपमका असंख्यातवां भाग गुणकार है, जो पल्योपमके असंख्यात प्रथम वर्गमूलप्रमाण है। प्रतिभाग क्या है ? संख्यात रूपोंसे गुणित असंख्यात आवलियां प्रतिभाग है।
स्त्रीवेदियोंमें संयतासंयतोंसे सासादनसम्यग्दृष्टि जीवं असंख्यातगुणित हैं॥१४९॥ गुणकार क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग गुणकार है। शंका-इसका कारण क्या है ? समाधान-क्योंकि, अशुभ सासादनगुणस्थानका पाना सुलभ है । १ गो. जी. ६३०. वीसित्थीगाउ. प्रवच. द्वा. ५३.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org