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२७.1 छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, ८, ४६. असंखेज्जगुणा, कधमणंतगुणत्तं; दोण्हमक्कमेण एयत्थ पउत्तिविरोहा ? एत्थ परिहारो उच्चदे- 'जहा उद्देसो तहा णिदेसो' ति णायादो ‘तिरिक्खमिच्छादिट्ठी केवडिया, अणंता, सेसतिरिक्खतियमिच्छादिट्ठी असंखेज्जा' इदि सुत्तादो वा एवं संबंधो कीरदेतिरिक्खमिच्छादिट्ठी अणंतगुणा, सेसतिरिक्खतियमिच्छादिट्ठी असंखेज्जगुणा त्ति, अण्णहा दोण्हमुच्चारणाए विहलत्तप्पसंगा । को गुणगारो ? तिरिक्खमिच्छादिट्ठीणमभवसिद्धिएहि अणंतगुणो, सिद्धेहि वि अणंतगुणो, अणंताणि सव्यजीवरासिपढमवग्गमूलाणि गुणगारो । को पडिभागो ? तिरिक्खअसंजदसम्मादिहिरासी पडिभागो। सेसतिरिक्खतियमिच्छादिट्ठणिं गुणगारो पदरस्स असंखेज्जदिभागो, असंखेजाओ सेडीओ असंखेज्जसेडीपढमवग्गमूलमेत्ताओ । को पडिभागो १ घणंगुलस्स असंखेज्जदिभागो, पलिदोवमस्सासंखेज्जदिभागमेत्तपदरंगुलाणि वा पडिभागो । अधया सग-सगदव्याणमसंखेज्जदिभागो ( गुणगारो ) । को पडिभागो ? सग-सगअसंजदसम्मादिट्ठी पडिभागो ।
असंजदसम्मादिविट्ठाणे सव्वत्थोवा उवसमसम्मादिट्ठी ॥४६॥
अनन्तगुणत्व कैसे बन सकता है, क्योंकि, दोनोंकी एक साथ एक अर्थमें प्रवृत्ति होनेका विरोध है ?
समाधान-इस शंकाका परिहार करते हैं- 'उद्देशके अनुसार निर्देश किया जाता है' इस न्यायसे, अथवा 'मिथ्यादृष्टि सामान्य तिर्यंच कितने हैं ? अनन्त हैं, शेष तीन प्रकारके मिथ्यादृष्टि तिर्यंच असंख्यात हैं' इस सूत्रसे इस प्रकार सम्बन्ध करना चाहिए- मिथ्यादृष्टि सामान्यतिर्यंच अनन्तगुणित हैं और शेष तीन प्रकारके मिथ्यादृष्टि तिर्यंच असंख्यातगुणित हैं। यदि ऐसा न माना जायगा, तो दोनों पदोंकी उच्चारणाके विफलताका प्रसंग प्राप्त होगा।
यहांपर गुणकार क्या है ? अभव्यसिद्धोंसे अनन्तगुणा और सिद्धोंसे भी अनन्तगुणा तिर्यंच मिथ्यादृष्टियोंका गुणकार है, जो सम्पूर्ण जीवराशिके अनन्त प्रथम वर्गमूलप्रमाण है। प्रतिभाग क्या है ? असंयतसम्यग्दृष्टि तिर्यंचराशि प्रतिभाग है। शेष तीन प्रकारके तिर्यंच मिथ्यादृष्टियोंका गुणकार जगप्रतरका असंख्यातवां भाग है, जो जगश्रेणीके असंख्यात प्रथम वर्गमूलप्रमित असंख्यात जगश्रेणीप्रमाण है। प्रतिभाग क्या है ? घनांगुलका असंख्यातवां भाग प्रतिभाग है । अथवा, पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमित प्रतरांगुल प्रतिभाग है । अथवा, अपने अपने द्रव्यका असंख्यातवां भाग गुणकार है। प्रतिभाग क्या है ? अपने अपने असंयतसम्यग्दृष्टि जीवोंका प्रमाण प्रतिभाग है।
तियंचोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टि जीव सबसे कम
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