________________
२४२ ]
छखंडागमे जीवाणं
[ १, ८, १.
आगमदव्वष्पाबहुअं । गोआगमदब्वप्पाबहुअं तिविहं जाणुअसरीर-भविय-तव्यदिरित्तभेदा । तत्थ जाणुअसरीरं भविय- वट्टमाण-समुज्झादमिदि तिविहमवि अवगयत्थं । भवियं भविस्सकाले अप्पाबहुअपाहुडजाणओ । तव्वदिरित्तअप्पा बहुअं तिविहं सचित्तमचित्तं मिस्समिदि । जीवदव्वप्पाबहुअं सचित्तं । सेसदव्वप्याबहुअमचित्तं । दोहं पि अप्पा बहुअं मिस्सं । भावप्पाबहुअं दुविहं आगम - गोआगमभेएण । अप्पा बहुअपाहुडजाणओ उवजुत्तो आगमभावप्पाबहुअं । णाण-दंसणाणुभाग- जोगादिविसयं णोआगमभावप्पा बहुअं |
देसु अप्पा बहुए केण पयदं ! सचित्तदव्वपाब हुएण पयदं । किमप्पा बहुअं ? संखाधम्मो, एदम्हादो एदं तिगुणं चदुगुणमिदि बुद्धिगेज्झो । कस्सप्पाबहुअं : जीवदव्वस्स, धम्मिवदिरित्तसंखाधम्माणुवलंभा । केणप्पा बहुअं ? पारिणामिएण भावेण ।
कहते हैं । नोआगमद्रव्य अल्पबहुत्व ज्ञायकशरीर, भावी और तद्व्यतिरिक्त के भेदसे तीन प्रकारका है। उनमेंसे भावी, वर्तमान और अतीत, इन तीनों ही प्रकारके ज्ञायकशरीरका अर्थ जाना जा चुका है । जो भविष्यकालमें अल्पबहुत्व प्राभृतका जाननेवाला होगा, उसे भावी नोआगमद्रव्य अल्पबहुत्वनिक्षेप कहते हैं । तद्व्यतिरिक्त अल्पबहुत्व तीन प्रकारका है- सचित्त, अचित्त और मिश्र । जीवद्रव्य-विषयक अल्पबहुत्व सचित्त है, शेष द्रव्यविषयक अल्पबहुत्व अचित्त है, और इन दोनोंका अल्पबहुत्व मिश्र है । आगम और नोआगमके भेदसे भाव - अल्पबहुत्व दो प्रकारका है । जो अल्पबहुत्व- प्राभृतका जाननेवाला है और वर्तमानमें उसके उपयोग से युक्त है उसे आगमभाव अल्पबहुत्व कहते हैं । आत्माके ज्ञान और दर्शनको, तथा पुद्गलकर्मोंके अनुभाग और योगादिको विषय करनेवाला नोआगमभाव अल्पबहुत्व है ।
शंका- इन अल्पबहुत्वोंमेंसे प्रकृतमें किससे प्रयोजन है ?
समाधान - प्रकृतमें सचित्त द्रव्यके अल्पबहुत्वसे प्रयोजन है ।
( अब निर्देश, स्वामित्वादि प्रसिद्ध छह अनुयोगद्वारोंसे अल्पबहुत्वका निर्णय किया जाता है | )
शंका- - अल्पबहुत्व क्या है ?
समाधान—यह उससे तिगुणा है, अथवा चतुर्गुणा है, इस प्रकार बुद्धिके द्वारा ग्रहण करने योग्य संख्याके धर्मको अल्पबहुत्व कहते हैं ।
शंका- अल्पबहुत्व किसके होता है, अर्थात् अल्पबहुत्वका स्वामी कौन है ? समाधान — जीवद्रव्यके अल्पबहुत्व होता है, अर्थात् जीवद्रव्य उसका स्वामी है, क्योंकि, धर्मीको छोड़कर संख्याधर्म पृथक् नहीं पाया जाता ।
शंका-अल्पबहुत्व किससे होता है, अर्थात् उसका साधन क्या है ? समाधान - अल्पबहुत्व पारिणामिक भावसे होता है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org