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१, ६, २३७. ]
अंतरानुगमे मदि-सुद-ओहिणाणि-अंतरपरूवणं
[ ११७
सागरो माउडिदिएस देवेसु उववण्णो । तदो चुदो पुच्वकोडाउगेसु मणुसेसु उववण्णो । दीहकालमच्छिदूण संजमा संजमं पडिवण्णो ( २ ) । लद्धमंतरं । तदो संजमं पडिवण्णो (३) पमत्तापमत्त परावत्तसहस्सं काढूण ( ४ ) खवगसेढीपाओग्गअप्पमत्तो जादो (५) । उवरि छ अंतोमुहुत्ता । एवमट्ठवस्सेहि एक्कारसअंतोमुहुत्तेहि य ऊणियाहि तीहि पुत्रकोडीहि सादिरेयाणि छावट्टिसागरोवमाणि उक्कस्संतरं । एवमोहिणाणिसंजदासंजदस्स वि । वरि आभिणिबोहियणाणस्स आदीदो अंतोमुहुत्ते आदि काढूण अंतराविय वारस अंतोमुहुत्तेहि समहियअट्टवस्तूग तीहि पुव्त्रकोडीहि सादिरेयाणि छावट्टिसागरोवमाणि त्ति वत्तव्यं ।
एदं वक्खाणं ण भद्दयं, अप्यंतरपरूवणादो । तदो दीहंतर मण्णा परूवणा कीरदे । एक्को अट्ठावीससंतकमिओ सणिसम्मुच्छिमपज्जत्तरसु उबवण्णो । छहि पज्जत्तीहि पज्जत्तदो ( १ ) विस्संतो ( २ ) विसुद्ध ( ३ ) वेद्गसम्मत्तं संजमा संजमं च समग पडवण्णो । अंतोमुहुत्तमच्छिय ( ४ ) असंजद सम्मादिट्ठी जादो । पुव्वकोडिं गमिय
सागरोपमकी आयुस्थितिवाले देवोंमें उत्पन्न हुआ। वहांसे च्युत हो पूर्वकोटीकी आयुवाले मनुष्योंमें उत्पन्न हुआ। वहां दीर्घकाल तक रहकर संयमासंयमको प्राप्त हुआ ( २ ) | इस प्रकार अन्तर लब्ध हुआ । पश्चात् संयमको प्राप्त हुआ ( ३ ) और प्रमत्त अप्रमत्तगुणस्थानसम्बन्धी सहस्रों परावर्तनोंको करके (४) क्षपकश्रेणीके योग्य अप्रमत्तसंयत हुआ (५) । इनमें ऊपरके क्षपकश्रेणीसम्बन्धी छह अन्तर्मुहूर्त मिलाये । इस प्रकार आठ वर्ष और ग्यारह अन्तर्मुहूतौसे कम तीन पूर्वकोटियोंसे अधिक छ्यासठ सागरोपम तीनों ज्ञानवाले संयतासंयतोंका उत्कृष्ट अन्तर होता है ।
इसी प्रकारसे अवधिज्ञानी संयतासंयतका भी उत्कृष्ट अन्तर जानना चाहिए | विशेष बात यह है कि आभिनिबोधिकज्ञानीके आदिके अन्तर्मुहूर्तसे प्रारम्भ करके अन्तरको प्राप्त कराकर बारह अन्तर्मुहूर्तीसे अधिक आठ वर्षसे कम तीन पूर्वकोटिसे साधक छयासठ सागरोपमकाल अन्तर होता है, ऐसा कहना चाहिए ।
शंका - उपर्युक्त व्याख्यान ठीक नहीं है, क्योंकि, इस प्रकार अल्प अन्तरकी प्ररूपणा होती है । अतः दीर्घ अन्तरके लिए अन्य प्ररूपणा की जाती है- मोहकर्मकी अट्ठाईस प्रकृतियोंकी सत्तावाला कोई एक जीव, संज्ञी सम्मूच्छिम पर्याप्तकोंमें उत्पन्न हुआ। छहों पर्याप्तियोंसे पर्याप्त हो ( १ ) विश्राम ले (२) विशुद्ध हो (३) वेदकसम्यक्त्वको और संयमासंयमको एक साथ प्राप्त हुआ । संयमासंयमके साथ अन्तर्मुहूर्त रहकर (४) असंयतसम्यग्दृष्टि होगया । पुनः पूर्वकोटीकाल बिताकर तेरह सागरो -:
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