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११० छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, ६, २१६. एगजीवं पडुच्च जहण्णेण अंतोमुहुत्तं ॥ २१६ ॥ कुदो ? उवरि चढिय हेट्ठा ओदिण्णस्स अंतोमुहुत्ततरुवलंभा । उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ॥२१७ ॥ सुगममेदं ।
उवसंतकसायवीदरागछदुमत्थाणमंतरं केवचिरं कालादो होदि, णाणाजीवं पडुच्च जहण्णण एगसमयं ॥ २१८ ॥
एवं पि सुगमं । उक्कस्सेण वासपुधत्तं ॥ २१९ ॥
कुदो ? एगवारमुवसमसेढिं चढिय ओदरिदूण हेट्ठा पडिय अंतरिदे उक्कस्सेण उवसमसेढीए वासपुधत्तंतरुवलंभा ।
उक्त दोनों उपशामकोंका एक जीवकी अपेक्षा जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त है ॥ २१६ ॥
. क्योंकि, ऊपर चढ़कर नीचे उतरनेवाले जीवके अन्तर्मुहूर्तप्रमाण अन्तर पाया जाता है।
उक्त दोनों उपशामकोंका एक जीवकी अपेक्षा उत्कृष्ट अन्तर अन्तर्मुहूर्त हैं ॥ २१७ ॥
यह सूत्र सुगम है। ___ उपशान्तकपायवीतरागछद्मस्थोंका अन्तर कितने काल होता है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय अन्तर है ॥ २१८ ॥
यह सूत्र भी सुगम है।
उपशान्तकषायवीतरागछद्मस्थोंका नाना जीवोंकी अपेक्षा उत्कृष्ट अन्तर वर्षपृथक्त्व है. ॥ २१९॥
क्योंकि, एकवार उपशमश्रेणीपर चढ़कर तथा उतर नीचे गिरकर उत्कर्षसे उपशमश्रेणीका वर्षपृथक्त्वप्रमाण अन्तर पाया जाता है।
१ एकजीव प्रति जघन्यमुत्कृष्टं चान्तर्मुहूर्तः । स. सि. १, ८.. २ उपशान्तकषायस्य नानाजीवापेक्षया सामान्यवत् । स. सि. १, ८.
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