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________________ [७७ १, ६, १२९.] अंतराणुगमे पंचिंदियअपज्जत्त-अंतरपरूवणं चदुण्हं खवा अजोगिकेवली ओघं ॥ १२५॥ णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण छम्मासा; एगजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं, पिरंतरमिच्चेएहि ओघादो भेदाभावा । सजोगिकेवली ओघं ॥ १२६॥ कुदो ? णाणेगजीव पडुच्च णस्थि अंतरं, णिरंतरमिच्चेदेण ओघादो भेदाभावा । पंचिंदियअपज्जत्ताणं वेइंदियअपज्जत्ताणं भंगो ॥ १२७ ॥ णाणाजीवं पडुच्च णत्थि अंतरं, णिरंतरं, एगजीवं पडुच्च जहण्णेण खुद्दाभवग्गहणं, उक्कस्सेण अणंतकालमसंखेज्जपोग्गलपरियट्टमिच्चेएहि वेईदियअपज्जत्तेहिंतो पंचिंदियअपज्जत्ताणं भेदाभावा । एदमिंदियं पडुच्च अंतरं ॥ १२८ ॥ गुणं पडुच्च उभयदो वि णत्थि अंतरं, णिरंतरं ॥ १२९ ॥ एदाणि दो वि सुत्ताणि सुगमाणि ।। एवमिंदियमग्गणा समत्ता । चारों क्षपक और अयोगिकेवलीका अन्तर ओघके समान है ॥ १२५ ॥ नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे छह मास अन्तर है, एक जीवकी अपेक्षा अन्तर नहीं है, निरन्तर है; इस प्रकार ओघप्ररूपणासे कोई भेद नहीं है। सयोगिकेवलीका अन्तर ओघके समान है ॥ १२६ ॥ क्योंकि, नाना जीव और एक जीवकी अपेक्षा अन्तर नहीं है, निरन्तर है; इस प्रकार ओघसे कोई भेद नहीं है। पंचेन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तकोंका अन्तर द्वीन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तकोंके समान है ॥१२७॥ नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तर नहीं है, निरन्तर है; एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे क्षुद्रभवग्रहणप्रमाण और उत्कर्षसे अनन्तकालात्मक असंख्यात पुद्गलपरिवर्तनप्रमाण अन्तर होता है। इस प्रकार द्वीन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तकोंसे पंचेन्द्रिय लब्ध्यपर्याप्तकोंके अन्तरमें कोई भेद नहीं है। यह गतिकी अपेक्षा अन्तर कहा है ॥१२८॥ गुणस्थानकी अपेक्षा दोनों ही प्रकारसे अन्तर नहीं है, निरन्तर है ॥ १२९ ॥ ये दोनों ही सूत्र सुगम है। इस प्रकार इन्द्रियमार्गणा समाप्त हुई। १ शेषाणां सामान्योक्तम् । स. सि. १,८. २ एवमिन्द्रियं प्रत्यन्तरमुक्तम् । स. सि. १, ८. ३ गुणं प्रत्युभयतोऽपि नास्त्यन्तरम् । स. सि. १, ८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001399
Book TitleShatkhandagama Pustak 05
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1942
Total Pages481
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size9 MB
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