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१, ६, ९७.] अंतराणुगमे देव-अंतरपरूवणं
[ ६३ कुदो ? तेरसभुवणट्ठिदमिच्छादिट्ठि-सम्मादिट्ठीणं दिट्ठमग्गाणमण्णगुणं गंतूण लहुमागदाणमंतोमुहुत्तंतरुवलंभा।
उक्कस्सेण वीसं वावीसं तेवीसं चउवीसं पणवीसं छव्वीसं सत्तावीसं अट्ठावीसं ऊणत्तीसं तीसं एक्कत्तीसं सागरोवमाणि देसूणाणि
मिच्छादिद्विस्स उच्चदे- एक्को दव्वलिंगी मणुसो अप्पिददेवेसु उववण्णो । छहि पज्जत्तीहि पज्जत्तयदो (१) विस्संतो (२) विसुद्धो (३) वेदगसम्मत्तं पडिवज्जिय अंतरिदो। अप्पप्पणो उक्कस्साउद्विदीओ अणुपालिय अवसाणे मिच्छत्तं गदो (४)। चदुहि अंतोमुहुत्तेहि ऊणाओ अप्पप्पणो उक्कस्सद्विदीओ मिच्छादिद्विस्स उक्कस्संतरं होदि ।
__ असंजदसम्मादिहिस्स उच्चदे- एक्को दव्वलिंगी बद्धक्कस्साउओ अप्पिददेवेसु उववण्णो । छहि पज्जत्तीहि पज्जत्तयदो (१) विस्संतो (२) विसुद्धो (३) वेदगसम्मत्तं पडिवण्णो (४) मिच्छत्तं गंतूणंतरिदो । अप्पप्पणो उक्कस्साउटिदियमणुपालिय सम्मत्तं गंतूण (५) मदो मणुसो जादो । पंचहि अंतोमुहुत्तेहि ऊणउक्कस्सहिदिमेत्तं लद्धमंतरं ।
__क्योंकि, आनत-प्राणत आदि तेरह भुवनोंमें रहनेवाले दृष्टमार्गी मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि देवोंका अन्य गुणस्थानको जाकर पुनः शीघ्रतासे आनेवाले उन जीवोंके अन्तर्मुहूर्तप्रमाण अन्तर पाया जाता है। . उक्त तेरह भुवनोंमें रहनेवाले देवोंका उत्कृष्ट अन्तर क्रमशः देशोन बीस, बाईस तेईस, चौबीस, पच्चीस, छब्बीस, सत्ताईस, अट्ठाईस, उनतीस, तीस और इकतीस सागरोपम कालप्रमाण होता है ।। ९७ ॥
इनमेंसे पहले मिथ्यादृष्टि देवका उत्कृष्ट अन्तर कहते हैं- एक द्रव्यलिंगी मनुष्य विवक्षित देवोंमें उत्पन्न हुआ। छहों पर्याप्तियोंसे पर्याप्त हो (१) विश्राम ले (२) विशुद्ध हो (३) वेदकसम्यक्त्वको प्राप्त होकर अन्तरको प्राप्त हुआ और अपनी अपनी उत्कृष्ट आयुस्थितिको अनुपालन कर जीवनके अन्तमें मिथ्यात्वको गया (४)। इन चार अन्तर्मुहूसे कम अपनी अपनी उत्कृष्ट स्थितिप्रमाण उक्त मिथ्यादृष्टि देवोंका उत्कृष्ट अन्तर होता है।
अब असंयतसम्यग्दृष्टि देवका उत्कृष्ट अन्तर कहते हैं- बांधी है देवोंमें उत्कृष्ट आयुको जिसने, ऐसा एक द्रव्यलिंगी साधु विवक्षित देवोंमें उत्पन्न हुआ। छहों पर्याप्तियोसे पर्याप्त हो (१) विश्राम ले (२) विशुद्ध हो (३) वेदकसम्यक्त्वको प्राप्त हुआ (४)। पश्चात् मिथ्यात्वको जाकर अन्तरको प्राप्त हुआ। अपनी अपनी उत्कृष्ट आयुस्थितिको अनुपालन कर सम्यक्त्वको जाकर (५) मरा और मनुष्य हुआ। इस प्रकार इन पांच अन्तर्मुहूर्तोंसे कम अपनी उत्कृष्ट स्थितिप्रमाण अन्तर लब्ध हुआ।
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