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________________ १, ५, १३०. ] काला विगलिदियकालपरूवणं उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं ।। १२७ ॥ सुगममेदं सुतं, बहुसो परुविदत्तादो । बीइंदिया तीइंदिया चउरिंदिया बीइंदिय-ती इंदिय - चउरिंदियपज्जत्ता केवचिरं कालादो होंति, णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा ॥ १२८ ॥ उवदेसेण विणा जाणिज्जदि चि सुगममेदं सुत्तं । 4 एगजीवं पडुच्च जहणेण खुद्दाभवग्गहणं, अंतोमुहुत्तं ॥ १२९ ॥ जहा उद्देमो तहा णिद्देसो ' त्ति णायादो वि-ति- चउरिंदियाणं जहण्णकालो खुद्दाभवग्गहणं, तत्थ अपज्जत्ताणं संभवा । पज्जत्ताणं अंतोमुहुत्तं, तत्थ खुद्दा भवग्गहणस्स संभवाभावा । उक्कस्सेण संखेज्जाणि वाससहस्वाणि ॥ १३० ॥ तीइंदियाण मे गूणवण्णदिवसा उक्कस्साउडिदिपमाणं, चउरिंदियाणं छम्मासा, बीइंदि उक्त जीवोंका उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है ।। १२७ ॥ पहले बहुतवार प्ररूपण किये जाने से यह सूत्र सुगम है । द्वन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीव तथा द्वीन्द्रियपर्याप्तक, त्रीन्द्रियपर्याप्सिक और चतुरिन्द्रियपर्याप्तक जीव कितने काल तक होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्वकाल होते हैं ।। १२८ ॥ उपदेशके बिना ही जाना जाता है कि यह सूत्र सुगम है । एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका जघन्य काल क्रमशः क्षुद्रभवग्रहण और अन्तर्मुहूर्तप्रमाण है ।। १२९ ॥ ' जैसा उद्देश होता है, वैसा ही निर्देश होता है' इस व्यायसे सामान्य द्वीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवोंका जघन्य काल क्षुद्रभवग्रहणप्रमाण है, क्योंकि, उनमें लब्ध्यपर्याप्त जीवोंकी संभावना है। किन्तु पर्याप्तक जीवोंका काल अन्तर्मुहूर्त है, क्योंकि, उनमें क्षुद्रग्रहणकी संभावना नहीं है । एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका उत्कृष्ट काल संख्यात हजार वर्ष है ॥ १३० ॥ श्रीन्द्रिय जीवोंकी उमंचास दिवस उत्कृष्ट आयुस्थितिका प्रमाण है, चतुरिन्द्रिय १ विकलेन्द्रियाणां नानाजीवापेक्षया सर्वः कालः । स. सि. १, ८. २ एकजीव प्रति जघन्येन क्षुद्रभवग्रह्णम् । स. सि. १,८० ३ उत्कर्षेण संख्येयानि वर्षसहस्राणि । स. सि. १,८. Jain Education International [ ३९७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001398
Book TitleShatkhandagama Pustak 04
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1942
Total Pages646
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size14 MB
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