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________________ १, ३, २३. ] खेत्तागमे ओगाहणादंडयपरूवणं [ ९५ वाउकाइयअपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा । बादरते उकाइयअ पञ्जत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेजगुणा । बादरआउकाइयअपजत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेञ्जगुणा । बादरपुढविकाइयअपजत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेजगुणा । बादरणिगोदजीव अपञ्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । णिगोदपदिदिअपजत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेञ्जगुणा । बादरवणप्फइकाइयपत्तेय सरीरअपजत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । वेइंदियअपजत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा । तेइंदियअपजत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । चउरिर्दियअपजत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । पंचिदियअपज्जतयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । सुहुमणिगोदजीवणिव्यत्तिपज्जत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव णिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव णिव्यत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । सुहुमवाउकाइयणिव्यत्तिपज्जत्तयस्स जहण्णिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव अपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जतयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । सुहुमतेउकाइयाणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव अप वायुकायिक अपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे बादर तैजस्कायिक अपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। इससे बादर जलकायिक अपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे बादर निगोद अपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। इससे निगोद प्रतिष्ठित अपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर अपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे द्वीन्द्रिय अपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे श्रीन्द्रिय अपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। इससे चतुरिन्द्रिय अपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे पंचेन्द्रिय अपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। इससे सूक्ष्म निगोद पर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे सूक्ष्म निगोद निर्वृत्त्य पर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । इससे सूक्ष्म निगोद निर्वृत्तिपर्याप्तर्क उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । इससे सूक्ष्म वायुकायिक निवृत्तिपर्याप्त जीवकी जघन्या अवगाहना असंख्यातगुणी है। इससे सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त जीवको उत्कृष्ट अवगाहन विशेष अधिक है। इससे सूक्ष्म वायुकायिक पर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट भवगाहना विशेष अधिक है । इससे सूक्ष्म तैजस्कायिक निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001398
Book TitleShatkhandagama Pustak 04
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1942
Total Pages646
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size14 MB
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