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________________ ९६ छक्खंडागमे जीवट्ठाणं [ १, ३, २३. ज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसे साहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । सुहुमआउकाइयणिव्यत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव णिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया। तस्सेव णिव्यत्ति पज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया। सुहमपुढविकाइयणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव णिव्यत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव णिव्यत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । बादरवाउकाइयणिव्यत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव णिव्यत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव णिव्यत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । बादरतेउकाइयणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा । तस्सेव णिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव णिव्यत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । बादरआउकाइयणिव्यत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा। तस्सेव णिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । तस्सेव णिव्यत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया । बादरपुढविकाइयणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स इससे सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे सूक्ष्म तैजस्कायिक पर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे सूक्ष्म अप्कायिक निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे सूक्ष्म अप्कायिक निर्वृत्त्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है । इससे सूक्ष्म अप्कायिक निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे सूक्ष्म पृथिवीकायिक निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। इससे सूक्ष्म पृथिवीकायिक निर्वृत्त्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे सूक्ष्म पृथिवीकायिक निवृत्तिपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे बादर वायकायक निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। इससे बादर वायुकायिक निर्वृत्त्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे बादर वायुकायिक निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे बादर तेजस्कायिक निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है। इससे बादर तैजस्कायिक निर्वृत्त्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे बादर तैजस्कायिक निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे बादर अकायिक निर्वृत्तिपर्याप्त जीव की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है । इससे बादर अप्कायिक निर्वृत्त्यपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे बादर अप्कायिक निर्वृत्तिपर्याप्त जीवकी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है। इससे बादर पृथिवीकायिक निर्वृत्तिपर्याप्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001398
Book TitleShatkhandagama Pustak 04
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1942
Total Pages646
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size14 MB
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