________________
५३ ]
खेत्ताणुगमे सयोगिकेवलिखेत्तपरूवणं [१, ३, ४. हिय पंचण्हं लक्खाणं सत्तभागवाहल्लं जगपदरं होदि ५४०००० । पुणो अवरासु दोसु दिसासु एगरज्जुस्सेधेण तले सत्तरज्जुआयामेण मुहे सत्तभागाहियछरज्जुरुंदत्तेण सहिजोयणसहस्सबाहल्लेण ट्ठिदवादवलयखेत्ते जगपदरपमाणेण कदे वीसजोयणसहस्साहियपंचवंचासजीयणलक्खाणं तेदालीस-तिसदभागवाहल्लं जगपदरं होदि ५५२०००० ।' एवं पुचिल्लखेत्तस्सुवरि पक्खित्ते एगूणवीसलक्ख-असीदिसहस्सजोयणाहिय-तिण्हं कोडीणं तेदालीस-तिसदभागवाहल्लं जगपदरं होदि ३१९८०००० ।' पुणो सत्तरज्जुविखंभ-तेरह
३४३
इस घनफलको पहले तलभागके घनफलरूपसे आये हुए क्षेत्रमें मिला देनेपर पांच लाख चालीस हजार योजनोंके सातवें भागप्रमाण बाहल्यरूप जगप्रतर होता है।
१२०००० _ ५४०००० योजन मोटा जगप्रतर ।
उदाहरण-६०००० -
पुनः दुसरी दो अर्थात् पूर्व और पश्चिम दिशाओं में तलभागसे एक राजु ऊंचे, तलभागमें सात राजु लंबे, एक राजु ऊपर आकर मुखमें एक राजुके सातवें भाग अधिक छह राजु लंबे, और साठ हजार योजन बाहल्यरूपसे स्थित वातवलयक्षेत्रको जगप्रतरप्रमाणसे करनेपर पचवन लाख वीस हजार योजनोंके तीनसौ तेतालीसवें भागप्रमाण बाहल्यरूप जगप्रतर होता है।
उदाहरण- ४९ + ४३ = ९२ , ९२ २ २ - १४ , १४ ४ ३ - ९२ , १२ x ६०००० = १५२००००- । इसे जगप्रतरप्रमाणसे करनेके लिए ४९ का भाग देनेपर ५५२०००० योजनों के जितने प्रदेश होंगे उतने जगप्रतर लब्ध आ जाते हैं। पूर्व और
३४३ पश्चिममें तलभागसे एक राजुतक वातरुद्ध क्षेत्रका यही घनफल है।
इसे पूर्वोक्त घनफलरूपसे आये हुए क्षेत्र में मिला देनेपर तीन करोड़ उन्नीस लाख अस्सी हजार योजनोंके तीनसौ तेतालीसवें भागप्रमाण वाहल्यरूप जगप्रतर होता है। उदाहरण ५४०००० । ५५२०००० ३१९८०००० .
१० योजन मोटा जगप्रतर । ७ ३४३
३४३
७
१ उदयमहभूमिवेहो रज्जुससत्तमरजुसेढी य । जोयणसहिसहस्सं सत्तमखिदिदक्खिणुत्तरदो ॥ तस्स फलं जगपदरो सहिसहस्से हि जोयणेहि हदो । वाण उदिगुणो सगघणसंभजिदे उभयपास म्हि ॥ त्रि. सा. १३०, १३१.
- २ सेढी छरज्जु चोद्दसजायणमायामवासमुस्से हैं । पुवघरपास जुगले सत्तमदो तिरियलोगो त्ति ॥ तव्वादरुद्धखेस जोयणच उवीसगुणिदजगपदरं । उभयदिसासंजणिदं णादव्वं गणिदकुसलेहिं ॥ त्रि. सा. १३२, १३३.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org