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________________ क्रम नं. विषय दृष्टि गुणस्थानले लेकर संयतासंयत गुणस्थानतक प्रत्येक गुणस्थानमें जीवोंका प्रमाण व अवद्वारकाल द्रव्यप्रमाणानुगम-विषयसूची पृष्ठ नं. क्रम नं. ३२७ शुक्ललेश्यावाले जीवोंमें प्रमत्तसंयत गुणस्थान से लेकर सयोगिकेवली गुणस्थानतक प्रत्येक गुणस्थानवर्ती जीवोंका प्रमाण ३२८ लेश्यामार्गणासंबंधी भागाभाग ३२९ लेश्यामार्गणासंबंधी अल्पबहुत्व संयतासंयत संख्यात ही क्यों होते हैं, इस शंकाका समाधान ३३६ क्षायिक सम्यग्दृष्टि चारों क्षपक व अयोगिकेवली जिनोंका प्रमाण ३३७ क्षायिकसम्यग्दृष्टि सयोगिकेवली जिनोंका प्रमाण ३३८ वेदकसम्यग्दृष्टियें । में असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थान से लेकर अप्रमत्तसंयत गुणस्थान तक के जीवोंका प्रमाण Jain Education International ४६३ ४६५ ३४१ सम्यक्त्वमार्गणासम्बन्धी भागा४६६ ४६७ बहुत्व क्षयकसम्यग्दृष्टि ११ भव्यमार्गणा ४७२-४७३ ३४३ प्रमत्तसंयत वेदकसम्यग्दृष्टियोंसे ३३० भव्यसिद्धिक जीवोंमें मिध्यादृष्टि गुणस्थान से लेकर अयोगिकेवली गुणस्थान तक प्रत्येक गुणस्थान में जीवों का प्रमाण ३३१ अभव्यसिद्धिक जीवोंका प्रमाण ३३२ भव्यमार्गणासम्बन्धी भागाभाग और अल्पबहुत्व संज्ञी मिथ्यादृष्टि जीवोंका प्रमाण व अवहारकाल ४७३ गुणस्थानवर्ती १२ सम्यक्त्वमार्गणा ४७४ - ४८१ ३४५ संज्ञी जीवोंमें सासादन गुणस्थानसे लेकर क्षीणकषायगुणस्थान ३३३ सम्यग्दृष्टि जीवों में असंयततक प्रत्येक सम्यग्दृष्टि गुणस्थानसे लेकर जीवोंका प्रमाण अयोगिकेवली गुणस्थानतक ३४६ असंशी जीवका द्रव्य, काल प्रत्येक गुणस्थान में जीवोंका प्रमाण और क्षेत्रकी अपेक्षा प्रमाण ३३४ क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंमें असंयत३४७ संशीमार्गणासंबंधी भागाभाग व सम्यग्दृष्टि गुणस्थान से लेकर उपअल्पबहुत्व शान्तकषाय गुणस्थान तक के जीवोंका प्रमाण ३३५ क्षायिकसम्यग्दृष्टि विषय | ३३९ उपशमसम्यग्दृष्टियोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थान से लेकर उपशान्तकषाय गुणस्थानतक के जीवोंका प्रमाण ३४० सासादन सम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि और मिथ्यादृष्टि जीवोंका प्रमाण व अवहारकाल ४७४ ४७२ ४७२ ३४४ ४७४ | ३४२ सम्यक्त्वमार्गणासम्बन्धी अल्प भाग ४७६ ४७५ संयतासंयत जीव संख्यातगुणे कैसे हो सकते हैं, इस शंकाका समाधान १३ संज्ञीमार्गणा ३५१ आहारमार्गणासम्बन्धी भागाभाग ३५२ आहारमार्गणासम्बन्धी अल्प बहुत्व ६५ For Private & Personal Use Only पृष्ठ नं. ૪૨ ४८३ १४ आहारमार्गणा ४८३-४८७ ३४८ आहारक जीवों में मिथ्यादृष्टि गुणस्थान से लेकर सयोगिकेवली गुणस्थानतक प्रत्येक गुणस्थान में आहारक जीवोंका प्रमाण व ध्रुवराशि ४७९ ३४९ अनाहारक जीवोंका प्रमाण, ध्रुवराशि व अवहारकाल ४७६ ३५० अनाहारक अयोगिकेवली जीवों का प्रमाण ४७६ ४७७ ४७९ ४७९ ४८० ४८२-४८३ ४८२ ४८२ ४८३ ४८४ ४८५ ४८५ ४८५ www.jainelibrary.org
SR No.001397
Book TitleShatkhandagama Pustak 03
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1941
Total Pages626
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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