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मूडबिद्रीकी ताडपत्रीय प्रतियोंके मिलानका निष्कर्ष लब्धका. उसी भाजकमें भाग देनेसे निश्चित भजनफल प्राप्त होता है। गृहीतगुणकारमें निश्चित. भजनफल का विवक्षित राशिमें भाग देनेसे जो लब्ध आया उसका उसी भाजक राशिसे गुणा करके उत्पन्न हुए भजनफलका विवक्षित राशिके वर्गमें भाग देकर निश्चित भजनफल प्राप्त किया गया है । ये सब विकल्प वर्गात्मक राशियोंमें ही घटित होते हैं। इनका पूर्ण स्वरूप पृष्ठ ५२ से ८७ तक देखिये । प्रमाणराशि, फलराशि और इच्छाराशि, इनकी त्रैराशिक क्रियाका उपयोग जगह जगह दृष्टिगोचर होता है। (पृ. ९५, १०० )
मनुष्यगति-प्रमाणके प्ररूपणमें राशि दो प्रकारकी बतलाई है ओज और युग्म । इनमेंसे प्रत्येकके पुन: दो विभाग किये गये हैं। किसी राशिमें चारका भाग देनेसे यदि तीन शेष रहें तो वह तेजोज राशि, यदि एक शेष रहे तो कलिओज राशि, यदि चार शेष रहें ( अर्थात् कुछ शेष न रहे) तो कृतयुग्म राशि तथा यदि दो शेष रहे तो बादरयुग्म राशि कहलाती है । इनमेसे मनुष्यराशि तेजोज कही गई है । (पृ. २४९)
८ मूडबिद्रीकी ताडपत्रीय प्रतियोंके मिलानका निष्कर्ष
यह तो पाठकोंको विदित ही है कि इन सिद्धान्तग्रंथोंकी प्राचीन प्रतियां केवल एकमात्र मूड़बिद्रीक्षेत्रके सिद्धान्तमन्दिरमें प्रतिष्ठित हैं । पूर्व प्रकाशित दो भागोंके लिये हमें इन प्राचीन प्रतियोंके पाठ-मिलानका सुअवसर प्राप्त नहीं हो सका था। किन्तु हर्षकी बात है कि अब हमें वहां के भट्टारकस्वामी और पंचोंका सहयोग प्राप्त हो गया है, जिसके फलस्वरूप ताडपत्रीय प्रतियोंके मिलानकी. व्यवस्था हो गई है। पूर्व प्रकाशित दोनों भागों और इस तृतीय भागका मूल पाठ वहांकी ताड़पत्रीय प्रतियोंसे मिलाया जा चुका है और उससे जो पाठभेद हमें प्राप्त हुए हैं उनपर खूब विचार कर हमने उन्हें चार श्रेणियोंमें विभाजित किया है
(अ) वे पाठभेद जो अर्थ व पाठकी दृष्टिसे अधिक शुद्ध प्रतीत हुए। (देखो परिशिष्ट पृ. २० आदि)
(ब) वे पाठभेद जो शब्द और अर्थ दोनों दृष्टियोंसे दोनों ही शुद्ध हैं, अतएव जो संभवतः प्राचीन प्रतियोंके पाठभेदोंसे ही आये हैं । (देखो परिशिष्ट पृ. २९ आदि)
. (स) वे पाठभेद जो प्राकृतमें उच्चारणभेदसे उत्पन्न होते हैं और विकल्परूपसे पाये जाते हैं। ( देखो परिशिष्ठ पृ. ३२ आदि)
(ड) वे पाठभेद जो अर्थ या शब्दकी दृष्टिसे अशुद्ध हैं और इस कारण ग्रहण नहीं किये जा सकते । (देखो परिशिष्ट पृ. ३८ आदि)
इस श्रेणी-विभागके अनुसार मूडबिद्रीकी प्रतियोंका पाठ-मिलान इस भागके साथ प्रकाशित हो रहा है । संक्षेपमें यह पाठभेद-परिस्थिति इस प्रकार आती है
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