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________________ १, २, १३४.] दवपमाणाणुगमे वेदमग्गणाअप्पाबहुगपरूवणं [१२६ चेव पमत्तसंजदा संखेज्जगुणा । पुरिसवेदअसंजदसम्माइडिअवहारकालो असंखेज्जगुणो । सम्मामिच्छाइट्ठिअवहारकालो असंखेज्जगुणो । सासणसम्माइडिअवहारकालो संखेजगुणो । संजदासजदअवहारकालो असंखेजगुणो । इत्थिवेदअसंजदसम्माइट्ठिअवहारकालो असंखेज्जगुणो। सम्मामिच्छाइट्ठिअवहारकालो असंखेज्जगुणो । सासणसम्माइटिअवहारकालो संखेजगुणो । संजदासंजदअवहारकालो असंखेजगुणो । णqसयवेदअसंजदसम्माइटिअवहारकालो असंखेजगुणो । सम्मामिच्छाइद्विअवहारकालो असंखेज्जगुणो। सासणसम्माइट्ठिअवहारकालो संखेज्जगुणो । संजदासजदअवहारकालो असंखेज्जगुणो। तस्सेव दव्वमसंखेज्जगुणं । एवं पडिलोमेण णेदव्वं जाव पलिदोवमं ति । तदो इथिवेदमिच्छाइट्ठिअवहारकालो असंखेजगुणो । पुरिसवेदमिच्छाइहिअवहारकालो संखेज्जगुणो । तस्सेव विक्खंभसूई असंखेजगुणा । इत्थिवेदमिच्छाइट्ठिविक्खंभई संखेज्जगुणा । सेढी असंखेज्जगुणा । पुरिसवेदमिच्छाइद्वि गुणे हैं। पुरुषवेदमें ही प्रमत्तसंयत जीव पुरुषवेदी अप्रमत्तसंयतोंसे संख्यातगुणे हैं। पुरुषवेदी असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल पुरुषवेदी प्रमत्तसंयतोंसे असंख्यातगुणा है। पुरुषवेदी सम्यग्मिथ्याष्टियोंका अवहारकाल पुरुषवेदी असंयतसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालसे असंख्यातगुणा है। पुरुषवेदी सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल पुरुषवेदी सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंके अवहार• कालसे संख्यातगुणा है। पुरुषवेदी संयतासंयतोंका अवहार काल पुरुषवेदी सासादनसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालसे असंख्यातगुणा है। स्त्रीवेदी असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल पुरुषवेदी संयतासंयतोंके अवहारकालसे असंख्यातगुणा है। स्त्रीवेदी सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंका अपहारकाल सांधेदी असंयतसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे असंख्यातगुणा है। स्त्रीवेदी सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवारकाल स्त्रीवेदी सम्यग्मिध्यावधि अवहारकालसे संख्यातगणा है। स्त्रीवेटी संयतासंय तोका अवहारकाल स्त्रीवेदी सासादनसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे असंख्यातगुणा है । नपुंसकवेदी असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अकहारकाल स्त्रीवेदी संयतासंयतोंके अवहारकालसे असंख्यातगुणा है। नपुंसकवेदी सम्यग्मिथ्या दृष्टियोंका अवहारकाल नपुंसकवेदी असंयतसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे असंख्यातगुणा है। नपुंसकवेदी सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल नपुंसकवेदी सम्यग्मिथ्यादृष्टि अवहारकालसे संख्यातगुणा है। नपुंसकवेदी संयतासंयतोंका अवहारकाल नपुंसकवेदी सासादनसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे असंख्यातगुणा है। उन्हीं नपुंसकवेदी संयतासंयतोंका द्रव्य अपने अवहारकालसे असंख्यातगुणा है । इसीप्रकार प्रतिलोमक्रमसे पल्योपमतक ले जाना चाहिये । पल्योपमसे स्त्रीवेदी मिथ्यादृष्टियोंका अवहारकाल असंख्यातगुणा है। पुरुषवेदी मिथ्यादृष्टियोंका अवहारकाल स्त्रीवेदी मिथ्यादृष्टियोंके अवहारकालसे संख्यातगुणा है। उन्हीं पुरुषवेदी मिथ्यादृष्टियोंकी विष्कंभसूची उन्हींके अवहारकालसे असंख्यातगुणी है। स्त्रीवेदी मिथ्यादृष्टियोंकी विष्कंभसूची पुरुषवेदी मिथ्यादृष्टियोंकी विष्कंभसूचीसे संख्यातगुणी है। जगश्रेणी स्त्रीवेदी मिथ्याइष्टि विष्कंभसूचीसे असंख्यातगुणी है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001397
Book TitleShatkhandagama Pustak 03
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1941
Total Pages626
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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