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१, २, १०९.] दवपमाणाणुगमे जोगमगणापमाणपरूवणं
[ ३९३ असंजदसम्माइडिअवहारकालो होदि । तम्हि आवलियाए असंखेञ्जदिभाएण गुणिदे वेउबियमिस्सकायजोगिअसंजदसम्माइट्ठिअवहारकालो होदि । तम्हि आवलियाए असंखेञ्जदिभाएण गुणिदे कम्मइयकायजोगिअसंजदसम्माइडिअवहारकालो होदि । एवं सम्मामिच्छाइट्ठिस्स । णवरि वेउवियमिस्सं कम्मइयं च छोड्डिय वत्तव्यं । ओघसासणसम्माइटिअवहारकालं संखेज्जरूवेहि खंडिय लद्धं तम्हि चेव पक्खित्ते कायजोगिसासणसम्माईट्टिअवहारकालो होदि । तं हि आवलियाए असंखेज्जदिभाएण खंडिय लद्धं तम्हि चेव पक्खित्ते वेउबियकायजोगिसासणसम्माइट्ठिअवहारकालो होदि। तम्हि संखेज्जरूवेहि गुणिदे वचिजोगिसासणसम्माइटिअवहारकालो होदि। तम्हि संखेज्जरूवहि भागे हिदे लद्धं तम्हि चेव पक्खित्ते असच्चमोसवचिजोगिसासणसम्माइटिअवहारकालो होदि । तम्हि संखेजरूवेहि गुणिदे सच्चमोसवचिजोगिअवहारकालो होदि । एवं मोसवचिजोगि-सच्चवचिजोगिअवहारकालाणं जहाकमेण संखेजस्वेहि गुणेयव्वं । तम्हि संखेजस्वेहि गुणिदे मणजोगिसासणसम्माइट्ठिअवहारकालो होदि । तं हि संखेजस्वेहि खंडिय लद्धं तम्हि चेव पक्खित्ते असच्चमोसमणजोगिसासणसम्माइटिअवहारकालो होदि । तदो सच्चमोसमण
काययोगी असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल होता है। इसे आवलीके असंख्यातवें भागसे गणित करने पर वैक्रियिकमिश्रकाययोगी असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल होता है। इसे आवलीके असंख्यातवें भागसे गुणित करने पर कार्मणकाययोगी असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल होता है। इसीप्रकार सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंका भी अवहारकाल करना चाहिये। परंतु इतनी विशेषता है कि वैक्रियिकमिश्रकाययोग और कार्मणकाययोगको छोड़कर ही कथन करना चाहिये । ओघ सासादनसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालको संख्यातसे खंडित करके जो लब्ध आवे उसे उसी ओघ सासादनसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालमें मिला देने पर काययोगी सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल होता है। इसे आवलीके असंख्यातवें भागसे खंडित करके जो लब्ध आवे उसे उसी काययोगी सासादनसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालमें मिला देने पर वैक्रियिककाययोगी सासादनसम्यग्दहियोंका अवहारकाल होता है। इसे संख्यातसे गुणित करने पर वचनयोगी सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल होता है। इसे संख्यातसे भाजित करने पर जो लब्ध आवे उसे उसी वचनयोगी सासादनसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालमें मिला देने पर अनुभय वचनयोगी सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल होता है। इसे संख्यातसे गुणित करने पर उभय वचनयोगीसासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंका अवहारकाल होता है। इसीप्रकार मृषावचनयोगी और सत्यवचनयोगी जीवोंका अवहारकाल लाने के लिये यथाक्रमसे संख्यातसे गुणित करना चाहिये। सत्यवचनयोगी सासादनसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालको संख्यातसे गुणित करने पर मनोयोगी सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल होता है। इसे संख्यातसे खंडित करके जो लब्ध आवे उसे इसी मनोयोगी सासादनसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालमें मिला देने पर अनुभय मनोयोगी सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल होता है । इसके आगे
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