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________________ १, २, १०२.] दव्वपमाणाणुगमे कायमग्गणाअप्पाबहुगपरूवणं [३८३ विक्खंभसूई असंखेज्जगुणा । तसकाइयअपज्जत्तविक्खंभसई असंखेज्जगुणा । तसकाइयविक्खंभसूई विसेसाहिया । बादरवणप्फइकाइयपत्तेयसरीरपज्जत्तविक्खंभसई असंखेजगुणा । बादरणिगोदपदिहिदपज्जत्तविक्खंभसूई असंखेज्जगुणा । बादरपुढविकाइयपज्जत्तविक्खंभसूई असंखेज्जगुणा । बादरआउकाइयपज्जत्तविक्खंभसूई असंखेज्जगुणा । बादरवाउकाइयपज्जत्तविक्खंभसूई असंखेज्जगुणा । सेढी संखेजगुणा । तसकाइयपज्जत्तदव्वमसंखेज्जगुणं । तसकाइयअपज्जत्तदव्यमसंखेज्जगुणं । तसकाइयदव्वं विसेसाहियं । बादरवणप्फइकाइयपत्तेयसरीरपज्जत्तदव्यमसंखेज्जगुणं । बादरणिगोदपदिट्ठिदपज्जत्तदव्यमसंखेज्जगुणं । ( बादरपुढविकाइयपज्जत्तदव्यमसंखेज्जगुणं । ) बादरआउपज्जत्तदव्यमसंखेज्जगुणं । पदरमसंखेज्जगुणं । बादरवाउपज्जत्तदव्यमसंखेज्जगुणं । लोगो संखेज्जगुणो। तदो बादरतेउअपज्जत्तदव्यमसंखेज्जगुणं । बादरतेउव्वं विसेसाहियं । असंख्यातगुणी है । बसकायिक अपर्याप्त जीवोंकी विष्कंभसूची बसकायिक पर्याप्तोंकी विष्कंभसूची असंख्यातगुणी है। प्रसकायिक जीवोंकी विष्कंभसूची त्रसकायिक अपर्याप्तोंकी विष्कंभसूचीसे विशेष अधिक है। बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्त जीवोंकी विष्कंभसूची त्रसकायिकोंकी विष्कंभसूचीसे असंख्यातगुणी है। बादर निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्त जर्जाघों की विष्कंभसूची बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंकी विष्कंभसूचीसे असंख्यातगुणी है। बादर पृथिवीकायिक पर्याप्त जीवोंकी विष्कंभसूची बादर निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्तोंकी विष्कंभसूचीसे असंख्यातगुणी है। बादर अप्कायिक पर्याप्त जीवोंकी विष्कंभसूची बादर पृथिवीकायिक पर्याप्तोंकी विष्कंभसूचीसे असंख्यातगुणी है। बादर वायुकायिक पर्याप्तोंकी विष्कंभसूची वादर अप्कायिक पर्याप्तोंकी विष्कंभसूचीसे असंख्यातगुणी है। जगश्रेणी बादर वायुकायिक पर्याप्तोंकी विभसूचीसे संख्यातगुणी है। त्रसकायिक पर्याप्तोंका द्रव्य जगश्रेणीसे असंख्यातगुणा है। त्रसकायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य त्रसकायिक पर्याप्तोंके द्रव्यसे असंख्यातगुणा है। प्रसकायिकोंका द्रव्य प्रसकायिक अपर्याप्तोंके द्रव्यसे विशेष अधिक । है बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंका द्रव्य त्रसकायिकोंके द्रव्यसे असंख्यातगुणा है । बादर निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्तोंका द्रव्य बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर पर्याप्तोंके द्रव्यसे असंख्यातगुणा है। बादर पृथिवीकायिक पर्याप्तोंका द्रव्य बादर निगोदप्रतिष्ठितोंसे असं. ख्यातगुणा है। बादर अप्कायिक पर्याप्तोंका द्रव्य बादर पृथिवीकायिक पर्याप्तोंके द्रव्यसे असंख्यातगुणा है। जगप्रतर बादर अकायिक पर्याप्तोंके द्रव्यसे असंख्यातगुणा है। बादर वायुकायिक पर्याप्तोंका द्रव्य जगप्रतरसे असंख्यातगुणा है। लोक बादर वायुकायिक पर्याप्तके द्रव्यसे संख्यातगुणा है । लोकसे बादर तेजस्कायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य असंख्यातगुणा है। बादर तेजस्कायिकोंका द्रव्य बादर तेजस्कायिक अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष १ प्रतिषु ' बादरणिगोदविपज्जत्त - ' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001397
Book TitleShatkhandagama Pustak 03
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1941
Total Pages626
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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