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________________ ३८४ ] छक्खंडागमे जीवहाणं [ १, २, १०२. बादरवणप्फदिपत्तेयसरीरअपज्जत्तदबमसंखेज्जगुणं । बादरवणप्फइपत्तेयसरीरदव्वं विसेसाहियं । बादरणिगोदपदिहिदअपज्जत्तदव्यमसंखेज्जगुणं । बादरणिगोदपदिट्टिददव्वं विसेसाहियं । (बादरपुढविकाइयअपज्जत्तदव्यमसंखेज्जगुणं । बादरपुढविकाइयदव्वं विसेसाहियं ।) बादरआउअपज्जत्तदव्वमसंखेज्जगुणं । बादरआउकाइयदव्वं विसेसाहियं । बादरवाउअपज्जत्तदव्वमसंखेज्जगुणं । बादरवाउकाइयदव्वं विसेसाहियं । सुहुमतेउअपज्जत्तदव्यं असंखेज्जगुणं । तेउअपज्जत्तदव्यं विसेसाहियं । सुहमपुढविअपज्जत्तदव्वं विसेसाहियं । पुढविअपज्जत्तदव्वं विसेसाहियं । (सुहुमआउअपज्जत्तदव्वं विसेसाहियं । ) आउअपज्जत्तदव्वं विसेसाहियं । सुहुमवाउअपज्जत्तदव्वं विसेसाहियं । (वाउअपज्जत्तदव्वं विसेसाहियं ।) सुहुमतेउपज्जत्ता संखेज्जगुणा । तेउपज्जत्तदव्वं विसेसाहियं । सुहुमपुढविपज्जत्ता विसेसाहिया । पुढविपज्जत्ता विसेसाहिया। सुहुमआउपज्जत्ता विसेसाहिया । आउपज्जत्ता अधिक है । बादर वनस्पति प्रत्येकशरीर अपर्याप्तोंका द्रव्य बादर तेजस्कायिक द्रव्यसे असंख्यातगुणा है। बादर वनस्पति प्रत्येकशरीर जीवोंका द्रव्य बादर वनस्पति प्रत्येकशरीर अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक है। बादर निगोदप्रतिष्ठित अपर्याप्तोंका द्रव्य बादर वनस्पति प्रत्येकशरीर जीवोंके द्रव्यसे असंख्यातगुणा है। बादर निगोदप्रतिष्ठित जीवोंका द्रव्य बादर निगोदप्रतिष्ठित अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक है। बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य बादर निगोदप्रतिष्ठित अपर्याप्तोंके द्रव्यसे असंख्यातगुणा है। बादर पृथिवीकायिकोंका द्रव्य बादर पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंके द्रव्यसे विशेष अधिक है। बादर अप्कायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य बादर पृथिवीकायिक द्रव्यसे असंख्यातगुणा है। बादर अप्कायिक जीवोंका द्रव्य बादर अप्कायिक अपर्याप्तोक द्रव्यसे विशेष अधिक है। बादर वायुकायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य बादर अप्कायिकों के द्रव्यसे असंख्यातगुणा है । बादर वायुकायिकोंका द्रव्य बादर वायुकायिक अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक है । सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य बादर वायुकायिक द्रव्यसे असंख्यातगुणा है। तेजस्कायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य सूक्ष्म तेजस्कायिक अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक है। सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य तेजस्कायिक अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक है । पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य सूक्ष्म पृथिवीकायिक अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक है। सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंके द्रव्यसे विशेष अधिक है। अकायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य सूक्ष्म अप्कायिक अपर्याप्तोंके द्रव्यसे विशेष अधिक है। सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य अप्कायिक अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक है । वायुकायिक अपर्याप्तोंका द्रव्य सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक है । सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्त जीव सूक्ष्म वायुकायिक अपर्याप्त द्रव्यसे संख्यातगुणे हैं। तेजस्कायिक पर्याप्त जीव सूक्ष्म तेजस्कायिक पर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्त जीव तेजस्कायिक पर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक हैं। पृथिवीकायिक पर्याप्त जीव सूक्ष्म पृथिवीकायिक पर्याप्त द्रव्यसे विशेष अधिक है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001397
Book TitleShatkhandagama Pustak 03
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1941
Total Pages626
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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