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१, २, ७६.] दन्वपमाणाणुगमे एइदियपमाणपरूवणं
[ ३०९ तेसिं पज्जत्तापज्जत्ताणं पमाणं सबजीवरासिस्स असंखेज्जदिभागो। सुहुमेइंदिया सव्वजीवरासिस्स असंखेज्जा भागा। सुहुमेइंदियपज्जत्ता सधजीवरासिस्स संखेज्जा भागा। सुहुमेइंदियापजत्ता सव्वजीवरासिस्स संखेजदिभागो । कारणमेइंदियाणं ताव वुच्चदे । सेसिंदियाणिदिएहि सव्वजीवरासिम्हि भागे हिदे लद्धं विरलेऊण एकेक्कस्स रुवस्स सव्वजीवरासिं समखंडं करिय दिण्णे तत्थेयखंडं सेसिंदियाणिदिया च हति । सेसबहुखंडा एइंदिया हवंति । सेसिंदियाणिदिय-एइंदियापज्जत्तेहि य सव्यजीवरासिम्हि भागे हिदे लद्धं संखेज्जरूवाणि विरलिय सव्वजीवरासिं समखंडं करिय दिण्णे तत्थ बहुखंडा एइंदियपज्जत्ता होति । एइंदियअपज्जत्तेहि चेव सधजीवरासिम्हि भागे हिदे संखेज्जरूवाणि लब्भंति । ताणि विरलिय सव्वजीवरासिं समखंडं करिय दिण्णे तत्थ एगखंडं एइंदियअपज्जत्ता होति । सेसिंदिय-अणिदिय बादरेंइदिएहि य सयजीवरासिम्हि भागे हिदे तत्थ लद्धअसंखेजदिलोगरासिं विरलिय सधजीवरासिं समखंडं करिय दिण्णे तत्थ बहुखंडा सुहुमेइंदिया होति । वि-ति चदु पंचाणिदिर-चादरेंइदियसहिदसुहुमेइंदिअपज्जत्तएहि सव्वजीवरासिम्हि
और अपर्याप्तीका प्रमाण संपूर्ण जीवराशिके असंख्यातवें भाग है। सूक्ष्म एकेन्द्रिय जीव संपूर्ण जीवराशिके असंख्यात बहुभागप्रमाण हैं । सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्त जीव सर्व जीवराशिके संख्यात बहुभागप्रमाण हैं। सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्त जीव सर्व जीवराशिके संख्यातवें भाग हैं। अब एकेन्द्रियोंके प्रमाणका कारण कहते हैं- शेषेन्द्रिय अर्थात् द्वीन्द्रियादि जीव और अनिन्द्रिय जीव इनके प्रमाणसे सर्व जीवराशिके भाजित करने पर जो लब्ध आवे उसको विरलित करके और उस विरलित राशिके प्रत्येक एकके प्रति सर्व जीवराशिको समान खंड करके दे देने पर उनमेंसे एक खंडप्रमाण द्वीन्द्रियादि शेष इन्द्रियवाले और अनिन्द्रिय जीवोंका प्रमाण होता है। शेष बहुभागप्रमाण एकेन्द्रिय जीव हैं। द्वीन्द्रियादि शेष इन्द्रियवाले, अनिन्द्रिय और एकेन्द्रिय अपर्याप्त जीवोंके प्रमाणसे सर्व जीवराशिके भाजित करने पर जो संख्यात लब्ध आवे उसका विरलन करके और विरलित राशिके प्रत्येक एकके प्रति सर्व जीवराशिको समान खंड करके देयरूपसे दे देने पर वहां बहुभागप्रमाण एकेन्द्रिय पर्याप्त जीव होते हैं। एकेन्द्रिय अपर्याप्तों के प्रमाणसे भी सर्व जीवराशिके भाजित करने पर संख्यात लब्ध आते हैं। उसे विरलित करके और उस विरलित राशिके प्रत्येक एकके प्रति सर्व जीवराशिको समान खंड करके देयरूपसे दे देने पर वहां एक खंडप्रमाण एकेन्द्रिय अपर्याप्त जीव होते हैं। द्वीन्द्रियादि शेष इन्द्रियवाले, अनिन्द्रिय और बादर एकेन्द्रिय जीवोंके प्रमाणसे सर्व जीव. शिके भाजित करने पर वहा जो असख्यात लोकप्रमाण राशि लब्ध आवे उसे विरलित करके और उस विरलित राशिके प्रत्येक एकके प्रति सर्व जीवराशिको समान खंड करके देयरूपसे दे देने पर वहां बहुभागप्रमाण सूक्ष्म एकोन्द्रिय जीव होते हैं। दीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय, पंचेन्द्रिय, अनिन्द्रिय और बादर एकेन्द्रिय जीवोंसे युक्त सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्त जीवोंके प्रमाणसे सर्व जीवराशिके भाजित करने पर संख्यात लब्ध आते हैं । उसका
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