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१, २, ७३.] दव्वपमाणाणुगमे चउग्गइअप्पाबहुगपरूवणं
[२९७ बहुखंडा आणद-पाणदसासणसम्माइट्ठी होति । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा आरणच्चुदसासणसम्माइट्ठी होति । एवं णेयव्यं जाव उवरिममज्झिमसासणेत्ति । सेसमसंखेजखंडे कए बहुखंडा उवरिमउवरिमसासणसम्माइट्ठी होति । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा सबट्टसिद्धिविमाणवासियदेवा होति । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा मणुसिणीमिच्छाइट्ठी होति । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा मणुसपज्जत्तमिच्छाइट्ठी होति । सेसं संखेजखंडे कए बहुखंडा मणुसअसंजदसम्माइट्ठी होति । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा सम्मामिच्छाइट्ठी होति । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा सासणसम्माइट्ठी होति । सेसं संखेजखंडे कए बहुखंडा संजदासंजदा हति । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा पमत्तसंजदा होति । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा अपमत्तसंजदा होति । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा सजोगित्ति । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा चउण्हं खवगा । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा चउण्हमुवसामगा। सेसेगखंडं अजोगिकेवली होति । एवं चउग्गइभागाभागं समत्तं ।
। एत्तो चउग्गइअप्पाबहुगं वत्तइस्सामो । तं जहा । सव्वत्थोवो अजोगिकेवलिरासी ।
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बहुभागप्रमाण आनत और प्राणतके सासादनसम्यग्दृष्टि देव है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनसे बहुभागप्रमाण आरण और अच्युतके सासादनसम्यग्दृष्टि देव हैं। इसीप्रकार उपरिम मध्यम अवेयकके सासादनसम्यग्दृष्टि देवोंका प्रमाण आनेतक ले जाना चाहिये । शेष एक भागके असंख्यात खंड करने पर उनमेंसे बहुभागप्रमाण उपरिम उपरिम प्रैवेयकके सासादनसम्यग्दृष्टि देव हैं। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनमें से बहुभागप्रमाण सर्वार्थसिद्धि विमानवासी देव हैं। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनमेंसे बहुभागप्रमाण मनुष्यनी मिथ्यादृष्टि जीव हैं । शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनमेंसे बहुभागप्रमाण मनुष्य पर्याप्त मिथ्यादृष्टि जीव हैं। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनमेसे बहुभागप्रमाण मनुष्य असंयतसम्यग्दृष्टि जीव हैं। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनसे बहुभागप्रमाण सम्यग्मिथ्यादृष्टि मनुष्य हैं। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनसे बहुभागप्रमाण सासादनसम्यग्दृष्टि मनुष्य हैं। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनमेंसे बहुभागप्रमाण संयतासंयत मनुष्य हैं। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनमेंसे बहुभागप्रमाण प्रमत्तसंयत मनुष्य हैं। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनमेंसे बहुभागप्रमाण अप्रमत्तसंयत मनुष्य हैं। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनमेंसे बहुभागप्रमाण सयोगिकेवली जिन हैं। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनमेंसे बहभागप्रमाण चारों गुणस्थानके क्षपक हैं। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर उनमेंसे बहुभागप्रमाण चारों गुणस्थानोंके उपशामक हैं । शेष एक खंडप्रमाण अयोगिकेवली जिन हैं।
इसप्रकार चारों गतिसंबन्धी भागाभाग समाप्त हुआ। अब इसके आगे चारों गतिसंबन्धी अल्पबहुत्वको बतलाते हैं। वह इसप्रकार है
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