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१, २, २३.] दव्वपमाणाणुगमे णिरयगदिअप्पाबहुगपरूवणं [ २११ अप्पप्पणो अवहारकाले जाणिऊण वत्तव्वं ।।
सबपरत्थाणप्पाबहुगं वत्तइस्सामो। सव्वत्थोवो पढमपुढविअसंजदसम्माइडि अवहारकालो। सम्मामिच्छाइट्ठिअवहारकालो असंखेज्जगुणो । को गुणगारो? आवलियाए असंखेजदिभागो। सासणसम्माइडिअवहारकालो संखेज्जगुणो। को गुणगारो ? संखेज्जा समया। तदो विदियपुढविअसंजदसम्माइट्ठिअवहारकालो असंखेज्जगुणो। को गुणगारो ? आवलियाए असंखेजदिभागो । सम्मामिच्छाइडिअवहारकालो असंखेजगुणो । सासणसम्माइट्ठिअवहारकालो संखेज्जगुणो । एवं जाव सत्तमाए पुढवीए सासणसम्माइट्टिअवहारकालो त्ति णेयव्वो। तस्सेव दव्बमसंखेज्जगुणं । सम्मामिच्छाइहिदव्वं संखेजगुणं । असंजदसम्माइहिदव्यमसंखेज्जगुणं । को गुणगारो? आवलियाए असंखेज्जदिमागो। एवं पडिलोमेण णेदव्वं जाव पढमपुढविअसंजदसम्माइढिदव्वं पत्तमिदि। तदो पलिदोवममसंखेज्जगुणं । तदो पढमपुढविणेरइयमिच्छाइट्ठिविक्खंभसई असंखेज्जगुणा । सामण्णणेरइयमिच्छाइटिविक्खंभसूई विसेसाहिया। तदो विदियपुढविमिच्छाइडिअवहार
विशेष है कि अपना अपना अवहारकाल जानकर ही कथन करना चाहिये।
__ अब सर्व परस्थान अल्पबहुत्वको बतलाते हैं -पहली पृथिवीके असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल सबसे स्तोक है। उससे पहली पृथिवीके सम्यग्मिथ्याष्टियोंका अवहारकाल असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग गुणकार है । सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंके अवहारकालसे पहली पृथिवीके सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल संख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है। पहली पृथिवीके सासादनसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालसे दुसरी पृथिवीके असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग गुणकार है। दूसरी पृथिवीके असंयतसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालसे वहींके सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंका अवहारकाल असंख्यातगुणा है। सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंके अवहारकालसे वहींके सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल संख्यातगुणा है । इसीप्रकार सातवीं पृथिवीतक सासादनसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालतक ले जाना चाहिये। सातवीं पृथिवीके सासादनसम्यग्दृष्टियोंके अवहारकालसे उन्हींका द्रव्य असंख्यातगुणा है।
म्यग्दृष्टियोंके द्रव्यसे वहींके सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंका द्रव्य संख्यातगुणा है। सम्यमिथ्यादृष्टियोंके द्रव्यसे वहींके असंयतसम्यग्दृष्टियोंका द्रव्य असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग गुणकार है । इसीप्रकार उत्तरोत्तर प्रतिलोम पद्धतिसे जब पहली पृथिवीके असंयतसम्यग्दृष्टियोंका द्रव्य प्राप्त होवे तब तक ले जाना चाहिये। पहली पृथिवीके असंयतसम्यग्दृष्टियोंके द्रव्यसे पल्योपम असंख्यातगुणा है। पल्योपमसे पहली पृथिवीके मिथ्याष्टिनारकियोंकी विष्कंभसूची असंख्यातगुणी है। उक्त विष्कंभसचीसे सामान्य मिथ्यादृष्टि नारकियोंकी विष्कंभसूची विशेष अधिक है । सामान्य मिथ्याष्टि नारकियोंकी विष्कंभसूचीसे दूसरी पृथिवीके मिथ्यादृष्टियोंका अवहारकाल असंख्यातगुणा
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