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१, २, २३.] दव्वपमाणाणुगमे णिरयगदिभागाभागपरूवणं
[२०७ पुढविअसंजदसम्माइडिअवहारकालो होदि। तम्हि आवलियाए असंखेजदिभागेण गुणिदे पढमपुढविसम्मामिच्छाइडिअवहारकालो होदि । तम्हि संखेज्जरूवेहिं गुणिदे सासणसम्माइटिअवहारकालो होदि । तम्हि आवलियाए असंखेजदिभागेण गुणिदे विदियाए असंजदसम्माइडिअवहारकालो होदि। तम्हि आवलियाए असंखेजदिभागेण गुणिदे' सम्मामिच्छाइट्ठिअवहारकालो होदि । तम्हि संखेज्जरूवेहि गुणिदे सासणसम्माइहिअवहारकालो होदि । एवं तदियादि जाव सत्तमपुढवि तिअवहारकाला परिवाडीए उप्पाएदव्या । एदेहि अवहारकालेहि पलिदोवमस्सुवरि खंडिदादीणं ओघभंगो ।
भागाभाग दवपमाणविसयणिण्णयजणणहं वत्तइस्सामो। सव्वजीवरासिस्स अणंतेसु भागेसु कदेसु तत्थ बहुभागा तिरिक्खा होति । सेसस्स अर्णतेसु भागेसु कदेसु तत्थ बहुभागा सिद्धा होति । सेसस्स असंखेज्जेसु भागेसु कदेसु तत्थ बहुभागा देवा होति । सेसस्स असंखेज्जेसु भागेसु कदेसु तत्थ बहुभागा णेरड्या होति । सेसेगभागो मणुसा हवंति। पुणो णेरइयरासिस्स असंखेज्जेसु खंडेसु कदेसु तत्थ बहुभागा पढमपुढवि
सम्यग्दृष्टि जीवोंका अवहारकाल होता है। उस पहली पृथिवीके असंयतसम्यग्दृष्टिसंबन्धी अवहारकालको आवलीके असंख्यातवें भागसे गुणित करने पर प्रथम पृथिवीके सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंका अवहारकाल होता है। उस पहली पृथिवीके सम्यग्मिथ्यादृष्टिसंबन्धी अवहारकालको संख्यातसे गुणित करने पर प्रथम नरकका सासादनसम्यग्दष्टिसंबन्धी अवहारकाल होता है। पहले नरकके सासादनसम्यग्दृष्टिसंबन्धी अवहारकालको आवलीके असंख्यातवें भागसे गुणित करने पर दूसरी पृथिवीका असंयतसम्यग्दृष्टिसंबन्धी अवहारकाल होता है। दूसरी पृथिवीके असंयतसम्यग्दृष्टिसंबन्धी अवहारकालको आवलीके असंख्यातवें भागसे गुणित करने पर दूसरी पृथिवीका सम्यग्मिथ्यादृष्टिसंबन्धी अवहारकाल होता है। उस दूसरी पृथिवीके सम्यग्मिथ्याष्टिसंबन्धी अवहारकालको संख्यातसे गुणित करने पर दूसरी पृथिवीके सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल होता है । इसीप्रकार तीसरी पृथिवीसे लेकर सातवीं पृथिवीतक अवहारकाल परिपाटी-क्रमसे उत्पन्न कर लेना चाहिये । इन अवहारकालोंके द्वारा पल्योपमके ऊपर खंडित आदिकका कथन सामान्य प्ररूपणाके समान है।
अब द्रव्यप्रमाणविषयक निर्णयका ज्ञान करानेके लिये भागाभागको बतलाते हैंसंपूर्ण जीवराशिके अनन्त भाग करने पर उनमें से बहभाग तिर्यच होते हैं। शेष। अनन्त भाग करने पर उनसे बहुभागप्रमाण सिद्ध होते हैं। शेष एक भागके असंख्यात भाग करने पर उनमेंसे बहुभागप्रमाण देव होते हैं। शेष एक भागके असंख्यात भाग करने पर उनमेंसे बहुभागप्रमाण नारकी होते हैं। शेष एक भागप्रमाण मनुष्य होते हैं। पुनः नारक जीवराशिके असंख्यात खंड करने पर उनमेंसे बहुभागप्रमाण पहली पृथिवीके मिथ्याइष्टि जीव
१ प्रतिषु · गुणिदे तम्हि चेव सम्मा-' इति पाठः ।
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