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१७४ ] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, २, १९. करिय दिण्णे रूवं पडि एदं पढमपुढविदव्यपमाणं होदि । पुणो पढमपुढविविक्खभसूचिगुणिदसेढिछट्टमवग्गमूलेण सामण्ण अवहारकालम्हि भागे हिदे पंचमपुढविपक्खेवअवहारकालो आगच्छदि। तं पुव्विल्लचउण्हं विरलणाणं पस्से विरलिय सामण्णअवहारकालमेत्तपंचमपुढविदव्यं समखंडं करिय दिण्णे रूवं पडि पढमपुढविमिच्छाइढिदव्वं पावदि । पुणो पढमपुढविविक्खंभमूचिगुणिदसेढितदियवग्गमूलेण सामण्णअवहारकालम्हि भागे हिदे छट्टपुढविपक्खेवअवहारकालो आगच्छदि । एदं पि पुव्विल्लपंचण्हं विरलणाणं पासे विरलिय सामण्णअव
१३४२१७७२८ : २६२१४४ . .
१९३
मिथ्यादृष्टि द्रव्यका प्रमाण होता है। उदाहरण-३२७६८४४०९६ = १३४२१७७२८;
१७ = ९८८१६ प्र. पृ. मि. द्रव्य. अनन्तर प्रथम पृथिवीकी विष्कंभसूचीसे जगश्रेणीके छठे वर्गमूलको गुणित करके जो लब्ध आवे उसका सामान्य अवहारकालमें भाग देने पर पांचवी पृथिवीके आश्रयसे उत्पन्न हुई प्रक्षेप अवहारकाल शलाकाएं आती हैं। उदाहरण–३२४ १९३ - १९.३, ३२७६८ : १९३ = १३१९७२ पांचवी पृथिवीका
आश्रय करके उत्पन्न हुई प्रक्षेप अवहारशलाकाएं । पांचवी पृथिवीके आश्रयसे उत्पन्न हुई उन प्रक्षेप अवहारकाल शलाकाओंको पूर्वोक्त चारों चिरलनोंके पासमें विरलित करके और विरलित राशिके प्रत्येक एकके ऊपर सामान्य अवहारकालमात्र अर्थात् सामान्य अवहार कालगुणित पांचवी पृथिवीके द्रव्यको समान खंड करके देयरूपसे दे देने पर विरलित राशिके प्रत्येक एकके ऊपर प्रथम पृथिवीके मिथ्यादृष्टि द्रव्यका प्रमाण प्राप्त होता है। उदाहरण-३२७६८४ २०४८ = ६७१०८८६४;
६७१०८८६४ : १३९०७२ ९८८१६ प्र. पृ. मि. द्रव्य. अनन्तर प्रथम पृथिवीकी विष्कंभसूचीसे जगश्रेणीके तृतीय वर्गमूलको गुणित करके जो लब्ध आवे उसका सामान्य अवहारकालमें भाग देने पर छठी पृथिवीके आश्रयसे उत्पन्न हुई प्रक्षेप अवहारकाल शलाकाएं आती हैं। उदाहरण–६४ ४ १९३ = १९३, ३२७६८ : १९३ = ६५५३६ छठी पृथिवीके
___आश्रयसे उत्पन्न हुई प्रक्षेप अघहारकाल शकालाएं।
छठी पृथिवीके आश्रयसे उत्पन्न हुई इन प्रक्षेप अवहारकाल शलाकाओंको पूर्वोक्त पांच विरलनोंके पास में विरलित करके और विरलित राशिके प्रत्येक एकके ऊपर सामान्य अवहारकालमात्र अर्थात् सामान्य अवहारकाल गुणित छठी पृथिवीके मिथ्यादृष्टि द्रव्यको
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