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१७० ]
छक्खंडागमे जीवद्वाणं
[ १, २, १९.
दिव्यस्स अवहारकालो होदि । पुणो तम्हि चेव चउपुढविमिच्छाइट्ठिविक्ख मसूचिहि एगरूवं सेढिछवग्गमूलेण खंडिऊण तत्थ एगखंडमवणिदे विदिय-तदिय-चउत्थ-पंचमपुढविवदिरित्त से सतिपुढविमिच्छाइदिव्यस्स विक्खंभसूई होदि । पुणो ताए विक्खंभसूईए जगसेढिम्हि भागे हिदे तिपुढविमिच्छाइदिव्वस्त अवहारकालो होदि । पुणो सेटि - तदियवग्गमूलेण एगरूवं खंडिय तत्थ एगं खंडं तिन्हं पुढवीणं विक्खंभसूचिहि अवणिर्दे पढम-सत्तम पुढवीणं मिच्छाइदिव्यस्स विक्खंभसूई आगच्छदि । पुणो ताए विक्खंभसूईए जगसेढिम्हि भागे हिदे पढम-सत्तम पुढवीणं मिच्छाइदिव्यस्स अवहारकालो आगच्छदि ।
है । अनन्तर उस विष्कंभसूचीका जगश्रेणी में भाग देने पर पूर्वोक्त चार पृथिवियोंके मिथ्यादृष्टि द्रव्यका अवहारकाल होता है ।
उदाहरण - १ : १६ =
१. १३ १ २५ १६ ८ १६ १६ विना शेष चार पृथिवियोंकी विष्कंभसूची । ६५५३६÷ पूर्वोक्त चार पृथिवियोंका अवहारकाल |
अनन्तर जगश्रेणी के छठे वर्गमूलसे एक रूपको खण्डित करके वहां जो एक खंड लब्ध आवे उसे उन्हीं पूर्वोक्त चार पृथिवीसंबन्धी मिथ्यादृष्टि विष्कंभसूचीमेंसे घटा देने पर दूसरी, तीसरी, चौथी और पांचवी पृथिवीको छोड़कर शेष तीन पृथिवीसंबन्धी मिथ्यादृष्टि द्रव्यकी विष्कंभसूची होती है । अनन्तर उस विष्कंभसूचीका जगश्रेणीमें भाग देने पर पूर्वोक्त तीन पृथिवी संबन्धी मिथ्यादृष्टि द्रव्यका अवहारकाल होता है ।
उदाहरण-१ : ३२ =
पहली, छठी और सातवीं पृथिवी
१ २५ १ ४९ ३२ १६ ३२ ३२ संबन्धी मिथ्यादृष्टि विष्कंभसूची । ६५५३६ ÷
पूर्वोक्त
उदाहरण - १ : ६४ =
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तीन पृथिवियोंका अवहारकाल ।
अनन्तर जगश्रेणीके तृतीय वर्गमूलसे एकरूपको खंडित करके वहां जो एक खंड लब्ध आवे उसे पूर्वोक्त तीन पृथिवियोंकी मिथ्यादृष्टि विष्कंभसूचीमेंसे घटा देने पर पहली और सातवीं पृथिवीके मिथ्यादृष्टि द्रव्यकी विष्कंभसूची आती है। अनन्तर उस विष्कंभसूचीका जगश्रेणीमें भाग देने पर पहली और सातवीं पृथिवीके मिथ्यादृष्टि द्रव्यका अवहारकाल भाता है ।
दूसरी, तीसरी और चौथी पृथिवीके २५ १०४८५७६ १६ २५
=
१ ४९ १ ६४ ३२ ક
९७ ६४
=
दृष्टिविष्कंभसूची | ६५५३६ ÷
४९ २०९७१५२ ३२ ४९
पहली और सातवीं पृथिवीकी मिथ्या
९७ ३९९४३०४
पहली और सातवीं
ક
९७
=
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