________________
छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, २, ७. पण्णट्ठी च सहस्सा पंचसया खलु छ उत्तरा तीसं । पलिदोवमं तु एवं वियाण संदिट्ठिणा दिहं ॥ ३८ ॥ विसहस्सं अडयालं छण्णउदी चेय चदुसहस्साणि । सोलसहस्साणि पुणो तिणिसया चउरसीदीया ॥ ३९ ॥ पंचसय वारसुत्तरमुद्दिट्ठाई तु लद्धदव्वाई ।
सासण-मिस्सासंजद-विरदाविरदाण णु कमेण ॥ ४० ॥ सासणसम्माइट्ठी ३२; सम्मामिच्छाइट्ठी १६; असंजदसम्माइट्ठी ४, संजदासजद १२८, एदे अवहारकाला । सासणसम्माइट्ठिदव्वपमाणं २०४८ सम्मामिच्छाइढिदव्यपमाणं ४०९६ असंजदसम्माइट्ठिदव्वपमाणं १६३८४ संजदासंजददव्वपमाणं ५१२ । पलिदोवमपमाणं ६५५३६' । । पमत्तसंजदा दवपमाणेण केवडिया, कोडिपुधत्तं ॥७॥)
पमत्तसंजदग्गहणं सेसगुणहाणाणं पडिसेहढें । कोडिपुधत्तग्गहणं सेससंखाणिरा
संयतसंबन्धी अवहारकालका प्रमाण १२८ जानना चाहिये । सम्यग्ज्ञानियोंके द्वारा देखे गये ये अवहारार्थ हैं ॥ ३७॥
__ पैंसठ हजार पांचसौ छत्तीसको पल्योपम जानना चाहिये ऐसा सम्यग्ज्ञानियोंने अवलोकन किया है ॥ ३८॥
सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण २०४८, सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशिका प्रमाण ४०९६, असंयतसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण १६३८४ और संयतासंयत जीवराशिका प्रमाण ५१२ आता है ॥ ३९-४०॥
सासादनसम्यग्दृष्टिसंबन्धी भागहार ३२, सम्यग्मिथ्यादृष्टिसंबन्धी भागहार १६, असंयतसम्यग्दृष्टिसंबन्धी भागहार ४ और संयतासंयतसंबन्धी भागहार १२८ है । सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण २०४८, सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशिका प्रमाण ४०९६, असंयतसम्यग्दृष्टि जीवराशिका प्रमाण १६३८४ और संयतासंयत जीवराशिका प्रमाण ५१२ है । तथा पल्योपमका प्रमाण ६५५३६ समझना चाहिये।
प्रमत्तसंयत जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? कोटिपृथक्त्वप्रमाण हैं ॥७॥
शेष गुणस्थानोंका प्रातिषेध करनेके लिये प्रमत्तसंयतपदका ग्रहण किया है। शेष संख्याओंका निराकरण करनेके लिये कोटिपृथक्त्व पदका ग्रहण किया है।
१ पं. सं. पृ. ८.
२ प्रमत्तसंयताः कोटीपृथक्त्वसंख्या:। पृथक्त्वमित्यागमसंज्ञा तिसां कोटीनामुपरि नवानामधः। स. सि. १, ८. पंचेव य तेणउदी णवठ्ठविसयच्छउत्तरं पमदे । गो. जी. ६२४.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org