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________________ छक्खंडागमे जीवद्वाणं [ १, २, ५. ६२ ] वेरूवपरूवणा गदा । अहरूवे वत्तहस्सामा | घणस्स अनंतिमभागेण उवरि इच्छिदवग्गे भागे हिदे जो भागलद्धो तेण तमेव वग्गं गुणेऊण तस्सुवरिमवग्गे भागे हिदे मिच्छाइट्ठिरासी आगच्छदि । तस्स भागहारस्स अद्धच्छेदणयमेत्ते रासिस्स अद्धच्छेदणए कदे विमिच्छाइडिसी चेव आगच्छदि । एवं संखेज्जासंखेज्जाणतेसु णेयव्वं । अपरूवणा गदा । घणाघणे वत्तइस्लामो । घणाघणपढमवग्गमूलम्स अनंतिमभागेण उवरि इच्छिदवग्गे भागे हिदे जो भागलद्धो तेण तमेव वग्गं गुणेऊण तस्सुवरिमवग्गे भागे हिदे मिच्छाइट्ठिरासी गृहीतगुणकार उपरम विकल्पमें द्विरूप वर्गधाराकी प्ररूपणा समाप्त हुई। अब अनुरूप धारामें गृहीतगुणकार उपरम विकल्पको बतलाते हैं घनके अनन्तिम भागका ऊपर इच्छित वर्गमें भाग देने पर जो लब्ध आवे उससे उसी वर्गराशिको गुणित करके लब्ध राशिका उक्त वर्गराशिके उपरिम वर्ग में भाग देने पर मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है । उदाहरण- घनराशि ४०९६ का इच्छित वर्ग. १६७७७२१६६ १६७७७२१६ १३ _ १६७७७२१६, १३ १६७७७२१६२ १ ÷ K १ १ १६७७७२१६९ १३ = १३ १६७७७२१६' १३ = १३ मिथ्यादृष्टि. उक्त भागहार के जितने अर्धच्छेद हों उतनीवार उक्त भाज्य राशिके अर्धच्छेद करने पर भी मिथ्यादृष्टि जीवराशि ही आती है । उदाहरण - उक्त भागहारके ४४ अर्धच्छेद प्रमाण उक्त राशिके अर्धच्छेद करने पर मिथ्यादृष्टि राशि १३ लब्ध आती है । Jain Education International इसीप्रकार संख्यात, असंख्यात और अनन्त स्थानों में भी लगा लेना चाहिये । इसप्रकार गृहीतगुणकार उपरम विकल्पमें अष्टरूप प्ररूपणा समाप्त हुई । अब घनाघनधारामें उसीको बतलाते हैं— १६७७७२१६ १६७७७२१६ १ ÷ घनाघनके प्रथम वर्गमूलके अनन्तिम भागका ऊपर इच्छित वर्ग में भाग देने पर जो भाग लब्ध आवे उससे उसी वर्गराशिको गुणित करके जो लब्ध आवे उसका उक्त वर्ग राशिके उपरिम वर्ग में भाग देने पर मिध्यादृष्टि जीवराशि आती है । ÷ = १ उदाहरण – घनाघन के प्रथम वर्गमूल २६२१४४ का इच्छित वर्ग ६८७१९४७६७३६६ ६८७१९४७६७३६ १३_६८७१९४७६७३६, १३ १ ६८७१९४७६७३६ १ X X = ६८७१९४७६७३६_६८७१९४७६७३६', = १३ ६८७१९४७६७३६२ ६८७१९४७६७३६२ १३ For Private & Personal Use Only १३ = १३ मिध्यादृष्टि. www.jainelibrary.org
SR No.001397
Book TitleShatkhandagama Pustak 03
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1941
Total Pages626
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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