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१, २, ५.] दव्वपमाणाणुगमे मिच्छाइडिपमाणपरूवणं भागे हिदे जो भागलद्धो तेण तम्हि चेव वग्गे मागे हिदे मिच्छाइहिरासी आगच्छदि। तस्स भागहारस्स अद्धच्छेदणयमेते रासिस्स अद्धच्छेदणए कदे वि मिच्छाइट्ठिरासी चेव आगच्छदि । (एवं संखेज्जासंखेज्जाणतेसु णेयव्यं)। एवं घणाघणपरूवणा गदा । गहिद गहिदं गदं।
गहिदगुणगारं वत्तइस्सामो। वेरूवे सधजीवरासिउवरिमवग्गस्स अणंतिमभागेण उवरि इच्छिदवग्गे भागे हिदे जो भागलद्धो तेण तमेव वग्गं गुणेऊण तस्सुवरिमवग्गे मागे हिदे मिच्छाइद्विरासी आगच्छदि । तस्स भागहारस्स अद्धच्छेदणयमेसे रासिस्म अद्धच्छेदणए कदे वि मिच्छाइहिरासी चेव अवचिट्ठदे । एवं संखेज्जासंखेज्जाणतेसुणेयव्यं ।
भाग लब्ध आवे उसका उसी वर्गमें भाग देने पर मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है। । उदाहरण-घनाघनका प्रथम वर्गमूल २६२१४४,
२६२१४४ . १३ २६२१४४, २६२१४४.२६२१०० = १३ मिथ्यादृष्टि. १ १ १३
१
१३ १३मध्याहाष्ट. उक्त भागहारके जितने अर्धच्छेद हो उतनीवार उक्त भाज्य राशिके अर्धच्छेद करने पर भी मिथ्याराष्टि राशि ही आती है।
उदाहरण-उक्त भागहारके ३२ अर्धच्छेद होंगे पर अन्तिम अर्धच्छेद १३३ होता है। अतः इतनीवार उक्त भज्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर मिथ्या दृष्टि राशि १३ आती है।
(इसीप्रकार संख्येय, असंख्येय और अनन्त वर्गस्थानोंमें भी लगा लेना चाहिये)। इसप्रकार गृहीतगृहीत उपरिम विकल्पमें घनाघनकी प्ररूपणा समाप्त हुई। इसप्रकार गृहीतगृहीत उपरिम विकल्पका कथन समाप्त हुआ।
__ अब गृहीतगुणकार उपरिम विकल्पको बतलाते है-हिरूप वर्गधारामें संपूर्ण जीवराशिके उपरिम वर्गके अनन्तवें भागका ऊपर इच्छित वर्गमें भाग देने पर जो भाग लब्ध आवे उससे उसी वर्गराशिको गुणित करके जो लब्ध आवे उसका उक्त वर्गराशिके उपरिम वर्गमें भाग देने पर मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है।
उदाहरण-उपरिम वर्ग २५६ का इच्छित वर्ग ६५५३६,
६५५३६२ . ६५५३६ = १३ मिथ्याष्टि.
१३
शमच्चावाट.
उक्त भागहारके जितने अर्धच्छेद हो उतनीवार उक्त भाज्य राशिके अर्धच्छेद करने पर भी मिथ्यादृष्टि जीवराशि ही आती है।
उदाहरण-उक्त भागहारके २८ अर्धच्छेद होते हैं। अन्तिम अर्धच्छेद १३३ होता है। अतः इतनीवार उक्त भज्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर मिथ्याष्टि राशि १३ भाती है।
इसप्रकार संख्यात, असंख्यात और अनन्त वर्गस्थानों में भी लगा लेना चाहिये । इसप्रकार
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