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________________ २२ ] छक्खंडागमे जीवाणं [ १, २, २. अनंतगुणाओ तस्सेव उवरिमवग्गादो अनंतगुणहीणाओ । एदाणमुवरि पढमवारवग्गिदसंवग्गिद सिस्स वग्गसलागाओ पक्खित्ते विदियवारवग्गिद संवग्गिद सिस्स वग्गसलागा हवंति' । पढमवारवग्गिद संवग्गिदरासिस्स अद्धच्छेदणाहि पढमवारवग्गिदसंवग्गिदरासि गुणदे विदियवारवग्गिद संवग्गिदासिस्स अद्धछेदणय सलागाओ भवंति । एदाओ पढमवारवग्गिद संवग्गिदरासीदो अनंतगुणाओ तस्सेव उवरिमवग्गणादो अर्णतगुणहीणाओ । दाणमुवरि विदियवारवग्गिदसंवग्गिदरासिस्स वग्गसलागाओ पक्खिते तदियवारवग्गि होती हैं । ये प्रथमवार वर्गित संवर्गित राशिकी अर्धच्छेदशलाकाएं जघन्य अनन्तानन्त से अनन्तगुणी हैं और उसीके अर्थात् जघन्य अनन्तानन्तके उपरिम वर्गसे अनन्तगुणी हीन हैं । इन प्रथमवार वर्गितसंवर्गित राशिकी अर्धच्छेदशलाकाओं में प्रथमवार वर्गितसंवर्गित राशिकी वर्गशलाकाएं मिला देने पर दूसरीवार वर्गितसंवर्गित राशिकी वर्गशलाकाएं होती हैं । तथा प्रथमवार वर्गित संवर्गित राशिकी अर्धच्छेदशलाकाओंके द्वारा प्रथमवार वर्गितसंवर्गित राशिको गुणित करने पर दूसरीवार वर्गित संवर्गित राशि की अर्धच्छेदशलाकाएं होती हैं। ये दूसरीवार वर्गित संवर्गित राशिकी अर्धच्छेदशलाकाएं प्रथमवार वर्गितसंवर्गित राशिसे अनन्तगुणी हैं, और उसीके, अर्थात् प्रथमवार वर्गित संवर्गित राशिके उपरिम वर्गले अनन्तगुणी हीन हैं । इन दूसरीवार वर्गित संवर्गित राशिकी अर्धच्छेदशलाकाओं में दूसरीवार वर्गितसंवर्गित राशिकी वर्गशलाकाएं मिला देने पर तीसरीवार वर्गित संवर्गित राशिकी वर्गशलाकाएं होती हैं 1 1 विशेषार्थ - जो राशि विरलन-देयक्रम से उत्पन्न होती है उसके अर्धच्छेद् विरलितराशिको राशिके अर्धच्छेदोंसे गुणा करने पर आते हैं । तथा उसकी वर्गशलाकाएं विरलितराशिके अर्धच्छेदों में देयराशिके अर्धच्छेदों के अर्धच्छेद या वर्गशलाकाएं मिला देने पर होती हैं । गणितके इस नियम के अनुसार जघन्य परीतानन्तके अर्धच्छेदोंसे जघन्य परीतानन्तको गुणा कर देने पर जघन्य युक्तानन्तके अर्धच्छेद और जघन्य परीतानन्तके अर्धच्छेदों में उसीकी वर्गशलाकाएं मिला देने पर जघन्य युक्तानन्तकी वर्गशालकाएं उत्पन्न होंगी। फिर भी प्रकृतमें जघन्य अनन्तानन्तकी वर्गशलाकाएं और अर्धच्छेद लाना है । परंतु जघन्य अनन्तानन्त जघन्य युक्तानन्तके उपरम वर्गरूप है, और वर्गसे उपरिम वर्गकी वर्गशलाकाओं और अर्धच्छेदों को लाने के लिये यह नियम है कि विवक्षित वर्गके अर्धच्छेदों से उपरिम वर्ग के अर्धच्छेद दूने और विवक्षित वर्गकी वर्गशलाकाओं से उपरिम वर्गकी वर्गशलाकाएं एक अधिक होती हैं । इसलिये जघन्य युक्तानन्तके अर्धच्छेदोंको दूना कर देने पर जघन्य अनन्तानन्तके अर्धच्छेद और जघन्य युक्तानन्तकी धर्मशलाकाओंमें एक और मिला देने पर जघन्य अनन्तानन्तकी वर्गशलाकाएं १ विरलिबरासिच्छेदा दिण्णद्धच्छेदच्छेदसम्मिलिदा । वग्गसलागपमाणं होंति समुप्पण्णरासिस्स ॥ ति. सा. १०८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001397
Book TitleShatkhandagama Pustak 03
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1941
Total Pages626
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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