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________________ २० ] छक्खंडागमे जीवाणं [ १, २, २. जहण्णमर्णताणतं दाऊण वग्गिद संवग्गिदं काऊणुप्पण्ण महारासिं दुप्पाडेरासिं काऊण तत्थेक्करासिं विरलेऊण अवरं महारासिपमाणं रूवं पडि दाऊण वग्गिदसंवग्गिदं काऊण पुणो उदिमहारासिंदुपडिरासिं काऊण तत्थेक्करासिपमाणं विरलेऊग अवरमहारासिं विरलणरासिरूवं पडि दाऊण अण्णोष्ण भासे कदे तिष्णिवारवग्गिदसंवग्गिदरासी' णाम । समाधान - जघन्य अनन्तानन्तका विरलन करके और विरलित राशिके प्रत्येक एक के ऊपर जघन्य अनन्तानन्तको देयरूपसे देकर उनके परस्पर वर्गितसंवर्गित करने पर जो मद्दाराशि उत्पन्न हो उसकी दो पंक्ति करनी चाहिये, अर्थात् तत्प्रमाण राशिको दो स्थानोंपर स्थापित करना चाहिये। उनमें से एक राशिका विरलन करके और उस विरलित राशि के प्रत्येक एकके ऊपर दूसरी पंक्ति में स्थापित महाराशिको देयरूपसे देकर और उनके परस्पर वर्गित संवर्गित करने पर जो महाराशि उत्पन्न हो उसकी फिरसे दो पंक्ति करनी चाहिये । उनमेंसे एक राशिका विरलन करके और विरलित राशि के प्रत्येक एकके ऊपर दूसरी पंक्ति में स्थापित महाराशिको देयरूपसे देकर उनके परस्पर गुणा करने पर जो महाराशि उत्पन्न होती है उसे तीनवार वर्गितसंवर्गित राशि कहते हैं । उदाहरण (बीजगणितसे ) जघन्य अनन्तानन्त=क त्रि. सा. ४८. क एकवार वर्गितसंवर्गित राशि = क दोवार Jain Education International तीनवार = क क 99 33 " क + १ क +१+क ( अंकगणितसे ) -- 33 क (G) = क क क क + १ क = क क क x क जघन्य अनन्तानन्त = २ ર કૈ २५६ एकवार २ = ४; दोवार ४ = २५६६ तीनवार २५६ For Private & Personal Use Only = क क क + १ क + १ ( ~*~ ) ( * + ***') क १ क x क क - = क क १ अवराणंताणंतं तिप्पडिरासिं करितु विरलादि । तिसलागं च समार्णिय लद्वेदे पविखवेदव्वा ॥ क.+१ www.jainelibrary.org
SR No.001397
Book TitleShatkhandagama Pustak 03
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1941
Total Pages626
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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