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प्ररूपणाका उद्गमस्थान है ।
मूल
प्रकृति १
(७३)
११ अनुयोगद्वारों में पांचवां द्रव्यप्रमाणानुगम है । वही जीवद्वाणकी संख्या
२ बंधविधान
एकैकोत्तर
४
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भुजगार
स्थिति २
उत्तर
ទំព័រ
2
९
१
२
३
४
प्रकृति स्थिति दंडक १ दंडक २
जीवद्वाणकी पांच चूलिकाएं
अव्वगाढ
१०
? *
T
बंधस्वामित्वविचय
खंड ३
अनुभाग ३
२० स्पर्शन
काल
१२
१४
१५
१६
२७
१८
१९
२१
२२
२३
दंडक २
अव्योगाढ
प्रकृतिस्थान
,
२
३
४
६
सत् संख्या क्षेत्र स्पर्शन काल अन्तर
I
जीवट्ठाणके छह अनुयोगद्वार
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७
प्रदेश ४
अन्तर
भाव
blit
भावप्ररूपणा ( जीवस्थानका ७ वां अधिकार )
अल्पबहुत्व
२४
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अल्पबहुत्व
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