________________
अंतरपरूवणा पुढवीसु अप्पप्णो हिदी भाणिदव्वा ।
९२. तिरिक्खेसु सत्तणं क० उ० ज० ए०, उ० अणंतका० । अणु० ज० ए०, उ० बे सम० । आउ० उ० ओघं । अणु० ज० ए०, उ० तिणि पलि. सादि०। पंचिंदि०तिरि०३ सत्तण्णं क. उ० ज० ए०, उ० तिण्णि पलि. पुवकोडिपु० । अणु० ज० ए०, उ० बे सम० । आउ० णाणावभंगो। अणु० ज० ए०, उ० तिण्णि पलि. सादि० । पंचिंतिरि०अपज्ज. सत्तण्णं क० उ० ज० ए०, उ. अंतो० । अणु० ज० ए०, उ० [बे सम० । आउ० उ० अणु० ज० ए०, उ० अंतो। पृथिवियोंमें जानना चाहिए । मात्र सात कर्मों के उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका उत्कृष्ट अन्तर कहते समय वह कुछ कम अपनी-अपनी उत्कृष्ट स्थितिप्रमाण कहना चाहिये।
विशेषार्थ-नारकियोंमें सात कर्मोका उत्कृष्ट प्रदेशबन्ध एक समयके अन्तरसे हो और कुछ कम तेतीस सागरके अन्तरसे हो यह सम्भव है, इसलिए इनमें उक्त कर्मो के उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समयप्रमाण जौर उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम तेतीस सागरप्रमाण कहा है। तथा इनमें सात कर्मों के उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल दो समय होनेसे यहाँ इनके अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट अन्तर दो समय कहा है। आयुकर्मके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट अन्तर कुछ कम छह महीनाप्रमाण है, यह स्पष्ट ही है, क्योंकि एक समयके अन्तरसे उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्ध हो, यह तो ठीक ही है। साथ ही नरकमें छह महीनाके प्रारम्भमें और अन्तमें उक्त बन्ध हो और मध्यमें न हो, यह भी सम्भव है, इसलिये यह अन्तर उक्तप्रमाण कहा है।
२. तिर्यञ्चोंमें सात कर्मों के उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है और
अन्तर अनन्त काल है। अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर दो समय है। आयुकर्मके उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका अन्तर ओघके समान है। अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर साधिक तीन पल्य है। पश्चेन्द्रियतिर्यश्चत्रिकमें सात कर्मो के उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर पूर्वकोटिपृथक्त्व अधिक तीन पल्य है। अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर दो समय है। आयुकर्मके उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका भङ्ग ज्ञानावरणके समान है । अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर साधिक तीन पल्यप्रमाण है। पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च अपर्याप्तकोंमें सात कर्मों के उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर अन्तर्मुहूर्त है। अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर दो समय है। आयुकर्मके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है और उत्कृष्ट अन्तर अन्तमुहूतेप्रमाण है।
विशेषार्थ-तिर्यञ्चोंमें सात कर्मो का उत्कृष्ट प्रदेशबन्ध एक समयके अन्तरसे भी सम्भव है और अनन्त कालके अन्तरसे भी सम्भव है, क्योंकि संज्ञी पञ्चेन्द्रियका उत्कृष्ट अन्तर अनन्तकालप्रमाण है, इसलिए इनमें सात कोंके उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय है. और उत्कृष्ट अन्तर अनन्तकालप्रमाण है। अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जघन्य अन्तर एक समय और उत्कृष्ट अन्तर दो समय जिस प्रकार नारकियोंमें घटित करके बतला आये है. उसी प्रकार यह अन्तर यहाँ और आगे भी घटित कर लेना चाहिये। ओघसे आयुकर्मके उत्कृष्ट प्रदेशबन्धका जो अन्तर कहा है वह यहाँ बन जाता है, इसलिये यह अन्तर ओघके समान
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org