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________________ मङ्गलाचरण प्रदेशबन्ध के दो भेदों का नाम-निर्देश मूल प्रकृति प्रदेशबन्ध भागाभागसमुदाहार चौबीस अनुयोगद्वारोंका नामनिर्देश स्थानप्ररूपणा स्थानप्ररूपणाके दो भेद योगस्थानप्ररूपणा योग- अल्पबहुत्व प्रदेश-अल्पबहुत्व योगस्थानप्ररूपणाके दस भेद अविभाग प्रतिच्छेद प्ररूपणा वर्गणाप्ररूपणा स्पर्धकप्ररूपणा अन्तरप्ररूपणा स्थानप्ररूपणा अनन्तरोपनिधा परम्परोपनिधा समयप्ररूपणा वृद्धिप्ररूपणा अल्पबहुत्व प्रदेशबन्धस्थानप्ररूपणा सर्व नोसर्व प्रदेशबन्ध प्ररूपणा उत्कृष्ट अनुत्कृष्ट प्रदेशबन्धप्ररूपणा जघन्य- अजघन्य प्रदेशबन्धप्ररूपणा साद्यादि प्रदेशबन्ध प्ररूपणा स्वामित्वप्ररूपणा स्वामित्व के दो भेद उत्कृष्ट स्वामित्व जयम्य स्वामित्व कालप्ररूपणा कालके दो भेद उत्कृष्ट काल विषय-सूची Jain Education International 9 जघन्य काल ง अन्तरप्ररूपणा १-८७ अन्तरके दो भेद १-२ ३ ३-१० ३ ३-१० ३-४ ४ ६-१० १० १० १०-११ ११ १२ उत्कृष्ट अन्तर (त्रुटि) नाना जीवों की अपेक्षा जघन्य काल अन्तरप्ररूपणा अन्तरके दो भेद उत्कृष्ट अन्तर जघन्य अन्तर ६ अल्पबहुत्यप्ररूपणा ६ अल्पबहुत्वके दो भेद भावप्ररूपणा भावके दो भेद उत्कृष्ट भाव जघन्य भाव १४-२२ २२-२८ २८-४५ २८ २८-३४ उत्कृष्ट अल्पबहुत्व जघन्य अल्पबहुत्व भुजगारबन्ध अर्धपद भुजगारके १३ अनुयोगद्वारोंकी सूचना समुत्कीर्तना स्वामित्व काल अन्तर नाना जीवोंकी अपेक्षा भङ्गविचय १२-१३ भागाभाग १४-२८ | परिमाण १४ क्षेत्र स्पर्शन काल अन्तर भाव अल्पबहुत्व ३४-४५ ४५-४८ For Private & Personal Use Only ४५ ४५-४८ ४ ६ ५०-५१ ५० ५० ५१ ५१ ५१ ५१ ५१ ५२-५३ ५२ ५२ ५२-५३ ५३-७६ ५३ ५३ ५३-५४ ५४-५५ ५५-५७ ५७-६५ ६५-६६ ६६-६७ ६७-६६ ६६-७० ७१-७३ ७३-७५ ७६-७७ १ जघन्य अन्तर, सन्निकर्ष, नाना जीवोंकी अपेक्षा भङ्गविचय, भागाभाग, परिमाण, क्षेत्र, स्पर्शन और उत्कृष्ट काल भी त्रुटित | ७७ ७८ ७६ www.jainelibrary.org
SR No.001393
Book TitleMahabandho Part 6
Original Sutra AuthorBhutbali
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1999
Total Pages394
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size10 MB
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