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________________ ५० सटीक मूलशुद्धिप्रकरणम् तो कुमारिहि दासि तेत्थु, आविंति सुगंधह गिण्हणत्थु, तो' अभउ विसेसिं देइ ताहं, पूएइ फलहु पेच्छंतियाहं, कोण निरविणु पुरिसरूवु, पुच्छंति ताउ तो तस्सरूवु, जह 'सेट्ठि ! काइँ एहि एउ ?,' सो पभणइ 'सेणियराउ देउ, हु हु मच्छि ! सामिसाल, भत्तिऍ आराहमि तं तिकालु', हु तो ताउ पुरउ कन्नहिँ कहिंति, जह 'चोज्जु दिट्टु किर नत्थि भंति, अम्हेहि अज्ज वाणियगपासि' 'किं तं ?' पडिपुच्छर जेदु दासि, अक्खंति तीऍ नीसेसु ताउ, आणवइ सा वि नियचेडियाउ, 'उप्प कोड हलि ! महु महंतु, तो आणहु कहवि तयं तुरंतु ', सामिणिकएण मग्गंतियाहं, अभओ विन अप्पर चेडियाहं, जंपर 'अवन्न मह सामियस्स, किर तुम्हि करेसह तहिँ गयस्स,' तोता सह बहुवि करेत्रि, पचाइउ अप्पर संवरेवि, दक्खिति ताओं नियसामिणीए, वररायहंसगयगामिणीए, अवलोयइ रूवु कुमारि जाम्ब, किय झत्ति परव्वस मयणि ताम्ब, बोल्लइ 'हलें ! पभणह सेट्ठि एउ, जइ होइ कंतु मैंहु तुज्झ देउ, तो जीविउ अत्थि न एत्थु भंति, फुट्टेइ हियउं अन्नह तड त्ति, ' तं अभयह अक्खि ताहिं सव्वु, अभएण वि पभणिउ करवि गव्वु, 'जइ निच्छउ एड्डु कुमारियाए, तो करमि कज्जु अधियारियाए, पर किंतु सुरंग मुहम्मि तीए, अमुगत्थ अमुगन्निमतिहीए, ठाउं जेण नरंदु थु, हउं आणिसु गुणवियसव्वसत्थु', संकेउ करे विणु, मणि विहसेविणु, जाणाविउं तं सेणियहु । सिरिअभयकुमारिं, मंतिहिँ सारिं, आवेंदु सुरंगहिँ सिग्घु पहु ! ॥ १० [११] Jain Education International 6 तो आग सेणिउ पुराउ, सविसेसाहरियसमत्थकाउ, आरुहिय पहाण महारहम्मि, सज्जीकयबहुविविहाऽऽउहम्मि, बत्तीसहिँ सुलसहिँ नंदणेहिं, 'संजुत्त जुत्तवरसंदणेहिं, नियमित्तकज्जि निरु वच्छलेहिं, अवमन्नियवहारच्चलेहिं, तेत्तीस रहि सुरंग दारि, पविसरवि पत्त जहिं ठिय कुमार, संकेयठाणि तो नरवरेण, संभासिय वरहंसस्सरेण, 'हउं तुज्झ कज्जि आइउ मयच्छि !, जइ इच्छहि तो रहि चडहि दच्छि !,' तोय ती निवनंदणार, आपुच्छिय चेल्लण गममणाए, तो चेण भइ 'अहं पि भगिणी !, आवेसु तर सह हंसगमणि !", तो ती जुन्त रोमंचियंग, आरुहइ जीम्व रहि रूवचंग, 1CD ता । 20 D पच्छाइउ । 7OD आह । 8 A B संजुत जुत्तवर । 3D जाव | 4CD ताव । 50D मह | 6OD पुष्णत्तिहीए । 90 D अवराहच्छलेहिं । 10CD जाव । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001387
Book TitleMulshuddhiprakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPradyumnasuri
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size21 MB
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