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सटीकं मूलशुद्धिप्रकरणम्
बत्तीस व समवयसेणियस्स, उस्सप्पिणिभाविजिणेसरस्स, बत्तीस वि अइपिय नरवरस्स, दरियारिकरिंदमयाहिवस्स, बत्तीस विमाणुम्माणजुत्त, वरलक्खणवंजणसंपउत्त, बत्तीस व बंधवकुमुयचंद, आणंदियकामिणिलोयैवंद, बत्तीस विसरलसहावसत्थ, जीवाइवियाणियनवपयत्थ, बत्तीस वि ते कुलबालियाओ, परिणाविय गुणगणमालियाओ, अह ताहँ ललं हँ, सुहु माणंतह, जाइ कालु निरुद्द | नियगेहिँ वसंतहँ, निरु निञ्चंत हैं, जह व सग्गि दोगुंदुयहं ॥ ७ [<]
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तो अनियरी विसाल, वेसाली नाम सुसालसाल, तं पालइ चेडउ नरवरिंदु, निक्कंदुक्कंदियवैरि बिंदु, तसु अत्थि दोन्नि वर नंदणाओ, अभिहार्णेण जेठ्ठा चेल्लणाओ, उत्तुंगपी सुपओहराओ, नियरूवोहामियअच्छराओ, जीवाइपयत्थवियक्खणाओ, जिणसासणरत्त सुदंसणाओ, पंडितगव्वभरउद्धुराओ, सिंगारफार तणुबंधुराओ, अह अन्नदियहि सुपसंतियाहं, अंतेउरमज्झि रमंतियाहं, कुंडिय-तिडंड-भिसियाविर्हंत्थ, नियसासणनायसमत्थसत्थ, पव्वाई एक सुन्निकाय, तहि कन्नंतेउरि 'संपयाय, सा कहइ ताहँ नियसोयधम्मु, जो बालह भावइ सुड्डु रम्मु, तं सुणवि जिणागमभावियाए, सा वृत्त जेदुवरसावियाए, 'जह वत्थु किंपि रुहिरेण लित्तु, हलें ! रुहिरेणेव य धोवियंतु,
न सुझइ तह तुह धम्मि मुद्धि !, पावेण विणिम्मिउ अइअसुद्धि, तं कम्मुविसुज्झइ पवि केव, सोयाइविणिम्मविएण चेव ?', माइवयणबहुवित्थरेण सा विहिय निरुत्तर तक्खणेण, तो बहुधाडियाहिं, पहसन्तिहि जेट्ठह चेडियाहिं, कंठम्मि घित्तु रायंगणाओ, सा धाडिय वैलिय वरंगणाओ, पैवाइय बहुविह कूडवंत, तो चिंतइ कोविं धगधगेत, 'पंडित्तणगव्विय एह पाव, ससवक्कइ पाडमि दुट्टभाव,' तो जेरूवु फलहइ लिहेवि, गय सेणियरायह पासि लेवि, दक्खाइ कयउचिओवयार, तं रायह नियकज्जम्मि सार निव्वन्निवितं अणुरायजुत्तु, पव्वाई भणइ वियारपत्तु, 'किं अस्थि विविहरयणायरम्मि, एयारिसु रुवु रसायलम्मि ?',
1AB यबिंद | 2CD सुह । नियसासणवाय । 6 AB सांपराय । 10 C D चलिरवरं । 11 C D पब्वाई व° ।
30 ° गलइ का° । 4AB °तणुगव्वियाओ। 5 A B हत्थु, 7 AB बुत्ति । 8OD पावि नेव | 9 कृतमुखबहु हास्यालापाभिः ।
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