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________________ सुलसाख्यानकम् कंबुसारिच्छ दीसंति कयसोहया, जीऍ गीवाऍ रेहाओं नरमोहया, जीऍ नीसेसलोयाण कयविब्भमं, आणणं फुल्लसयवत्तसिरिविब्भमं, जीऍ आकुंचिया 'सिहिण मिउ केसया, गवल-अलिवलय-सिहिगलयसंकासया, किं व अहवा वि सुलसाएँ वन्निज्जए, जा जिणेणावि सम्मत्ति उवमिज्जए, तसु जिण-मुणिभत्तहि, नियपइजुत्तहि, विसयसोक्खु माणंतियहिं । जाइ काल निरवचहि, गयदोगच्चहि, निरु सोहग्गसमन्नियहिं ॥ २ [३] अह सो नागरहिउ सुयकारणि, चिंतावन्नु वुत्तु सहचारिणि, 'नाह ! काइँ दीसहि चिंतावर, वारिबंधि नं बद्धउ गयवरु, रायउत्तु नं रज्जह टालिउ, नं ओहुल्लमल उ नवमालिउ, लीहाछोहिउ नं जूयारिउ, नं कावुरिसु वेरिपरिवारिउ, नं खीणाऽऽउहु सुहडु रणंगणि, भट्ठविजु नं खयरु नहंगणि, नं निजामउ नट्ठदिसावहु, नं परिखीणआउ तियसप्पहु, नं भंडवइ फुडन्तइ पवहणि, नं नट्टप्पहु पहिउ महावणि, नं कामाउरु विमुहिँ वैसाजणि, नं भट्टव्वउ भावियवरमुणि, किं राई अवमाणिउ किंचि वि ?, किं मुट्ठउ केणावि पवंचिवि ?, किं व महायणु तुज्झ विलोट्टउं ?, किं निहाणु अंगारविसट्टउं ?, किं व बालकवि हियइ खुडुक्का ?, किं व मरणु आसन्न ढुक्कइ ?, जइ अइरहसु नाह ! नवि किज्जइ, तो ऍउ कन्जु मज्झु साहिज्जइ', तं निसुणेप्पिणु, ईसि हसेप्पिणु, नागरहिउ पडिभणइ तउ ।। 'तं कज्जु न किं पि वि, अइरहसं पि वि, जं न कहिज्जइ कंति ! तउ ॥ ३ [४]. पर किंतु न नंदणु अत्थि तुझु, ऍउ हियइ खुडुक्कइ मज्झु गुज्झु', पडिभणइ वयणु तो सुलस एउ, 'जिणवयणवियड्ड वि काइँ खेउ ? किर करहि नाह ! नवि सुऍण कोइ, रक्खिज्जइ नरइ पडंतु जोइ, नवि रक्खइ वाहिवियारु इंतु, सुउ सामि ! गुणड्ड वि रूववंतु, किं तणउ देइ सग्गा-ऽपवग्गु ?, पर होइ नाह ! संसारमग्गु', 'जाणामि सयलु' तो पिउ भणेइ, ‘पर लच्छि अपुत्तह राउ लेइ, परिवारु सयलु पिएँ ! *दिसि घडेइ, नियबंधु वि अन्नह संघडेइ' तं सुणवि पयंपइ 'मइविसाल !, मुहं अन्न का वि परिणेहि बाल, सो भणइ 'विढप्पइ जइ वि रजु, महु अन्न भज किंचि वि न कज्जु, जइ होइ पुत्तु कह कह वि तुज्झु, तो चित्तु संयन्नउं होइ मज्झु', जाणेवि विनिच्छउ पियह भज्ज, हुय तियसाऽऽराहणि झत्ति सज्ज, सुविसुद्धबंभ भूमिहिँ सुवेइ, जिणपडिमह पूयहु कारवेइ, 10 D सहिण। 20 °णावि परिसाएँ उव। 3A B नं अकयागमु पडिउ महा। 400 दिस । 50D साहसउ। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001387
Book TitleMulshuddhiprakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPradyumnasuri
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Ethics, Philosophy, & Religion
File Size21 MB
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