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नय अधिकार
उसी प्रकार व्यवहार नय के भी दो भेद है ।
सामान्य संग्रह द्वारा गृहीत द्रव्य के जीव - अजीव ऐसे भेद करना यह सामान्य संग्रह व्यवहार है । तथा उसके अवांतर भेद रूपसे विशेष संग्रह द्वारा जीव रूपसे ग्रहण किया था उसके संसारी मुक्त इस प्रकार भेद करना यह विशेष संग्रह व्यवहार है । दो प्रकारके संग्रह को भेद करनेपर व्यवहार नय भी दो प्रकार होता है ।
व्यवहारोपि द्वेधा ॥ ७१ ॥
व्यवहार नयके भी दो प्रकार है ।
सामान्य संग्रह भेदको व्यवहारो यथा द्रव्याणि जीवा
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जीवाः ।। ७१ ।।
सामान्य संग्रह कथनको भेदरूपसे कथन करना सामान्य संग्रह व्यवह र नय है, जैसे सामान्य संग्रहनयसे द्रव्यकहे थे उसके भेद कथन करना जैसे द्रव्य सामान्य अपेक्षा दो प्रकार है । जीव अजीव
विशेष संग्रहभेदको व्यवहारो यथा -- जीवाः संसारिणो मुक्ताश्च ।। ७२ ।
२ सूक्ष्म ऋजुसूत्र.
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विशेष संग्रह नय कथनका भेद व्यवहार करना जैसे जीव संसारी औयुक्त दो प्रकार है ।।
ऋजुसूत्रोऽपि द्विविध ॥ ७३ ॥
ऋजुसूत्र नय के भी दो भेद है ।
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१ स्थूल ऋजुसूत्र,
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