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________________ आलाप पद्धति सूक्ष्म ऋजुसूत्रो यथा- एकसमयावस्थायी पर्यायः ॥ ७४ ॥ सूक्ष्म ऋजुसूत्र नयका विषय एकसमयवर्ती पर्याय है। जो एगसमयवट्टी गेहइ दवे धुवत्त पज्जाओ। सो रिजुसुत्तो सुहुमो सव्वं सदं जहा खणियं ॥ २११ ।। द्रव्ये गृण्हाति पर्यायं ध्रुवं समय मात्रिकं । ऋजुसूत्राभिधः सूक्ष्मः स सर्वं क्षणिकं यथा ॥ १८ ॥ प्रतिसमयं प्रवर्तमानार्थ पर्याये वस्तु परिणमनं इति एषः सूक्ष्मः ऋजुसूत्रो भवति । अर्थं पर्याया पेक्षया समय मात्रं ॥ अथ पर्याय सूक्ष्म होती है और एकसमयावस्थायी है। स्थल ऋजुसत्रो यथा- मनुष्यादिपर्यायाः तवायुः प्रमाण कालं तिष्ठन्ति ॥ ७५ ।। स्थल ऋजुसूत्र नय- मनुष्यादि पर्याय अपने अपने आयु-- प्रमाण काल तक रहते है ।। मणुयादि पज्जओ मणुसत्ति सग ट्ठिदीसु वटुंतो । जो भणइ ताव कालं सो थूलो होइ रिजुसुत्तो ॥ २१२ ॥ यो नरादिक पयायं ग्वकीय स्थिति वर्तनं । तावत्कालं तथा चष्टे स्थूलाख्य ऋजुसूत्रकः ।। १९ ।। नर नारकादि घट पटादि व्यंजन पर्यांयेषु जाव पुद्गल-- भिधान रूप वस्तुनि परिणतानि स्थूलऋजुसूत्र नयः ।। १६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001365
Book TitleAalappaddhati
Original Sutra AuthorDevsen Acharya
AuthorBhuvnendrakumar Shastri
PublisherJain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
Publication Year1989
Total Pages168
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Nyay
File Size7 MB
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