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( ४८ )
आलाप पद्धति
सत्ता अमुक्खरुवे उत्पादवयं हि गिण्हए जो हु । सो दु सहाव अणिच्चो गाही खलु सुद्ध पज्जाओ ॥२०२।। सत्ता गौणत्वात यो व्ययमुत्पादं च शुद्धमाचष्टे । सत्तागौरवेणनोत्पादव्ययवाचकः स नयः ॥ ९॥
सत्ता को ध्रुवको गौण कर शुध्द केवल उत्पादव्यय को जो नय ग्रहण करता है वह अनित्य-शुध्द- पर्यायाथिक नय है।
सत्ता सापेक्ष स्वभावोऽनित्य-अशुद्धपर्यायाथिको यथा- एकस्मिन् समये त्रयात्मकः पर्यायः ॥६॥
जो गहइ एक्क समये उप्पादवय धुवत्त संजुत्तं । सो सब्भाव अणिच्चो असुध्दओ पज्जयत्थिणओ ।।२०३।। ध्रौव्योत्पाद व्ययग्राही कालेनैकेन यो नयः । स्वभावानित्यपर्यायग्राहकोऽशुध्द उच्यते ॥ १० ॥
एक ही समयमें जो नय द्रव्यके उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य युक्त अनित्य अशुद्ध पर्याय को ग्रहण करता है उसे सत्ता सापेक्ष अनित्य अशुध्द पर्यायार्थिक नय कहते है ।
यहां सत्ता सामान्य विवक्षासे उत्पादव्यय ध्रौव्य रूप अनित्यता और भेद रूप अशुध्दता की अपेक्षासे इसको अनित्य अशुध्द पर्यायार्थिक नय कहा है।
कर्मोपाधि निरपेक्षस्वभावो नित्यशुद्धपर्यायाथिको, यथा, सिद्धपर्यायसदृशाः शुद्धाः संसारिणां पर्यायाः ॥ ६२ ।।
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