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( ४३ )
उत्पाद व्यय सापेक्षो अशुद्ध द्रव्यार्थिको, यथा - एकस्मिन् समये द्रव्यं धौव्यात्मकं ॥ ५१ ॥
उत्पादव्यय
नय अधिकार
उत्पाद व्यय सापेक्ष अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय है जैसे एकही समय में द्रव्य उत्पाद व्यय ध्रौव्यात्मक है ।
उत्पाद व्ययरूप प्रत्येक पर्याय में यह वही है, यह वही इस प्रकार प्रत्येक पर्याय के साथ ध्रुव का अस्तित्व होनेसे ध्रुव को भी एक अंशपर्ययरूप कहकर अशुद्ध द्रव्यार्थिक कहा ।
उत्पाद व विमिस्सा सत्ता गहिऊण भणदि तदियत्तं । दव्वस्स एग समये जो हु असुद्धो हवे विदियो || ( नयचक्र २२ )
भेद - कल्पना - सापेक्षः अशुद्ध- द्रव्यार्थिको यथा- आत्मनो दर्शनज्ञानादयो गुणाः । ५२ ।
गुण गुणी भेद कल्पना सापेक्ष अशुद्ध द्रव्यार्थिक नय जैसे आत्माके दर्शन ज्ञानादि गुण है ।। ५२ ।।
ण वि णाणं, ण चरितं ण दंसणं जाणगो सुद्धो ॥
( समयसार )
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आत्मा न केवल ज्ञान स्वरूप है, न केवल दर्शन स्वरूप है, न केवल चारित्र स्वरूप है । किंतु दर्शन ज्ञान चारित्र यया त्मक एक शुद्ध ज्ञायक स्वभाव है ।
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